उनका विषय है राजनीति विज्ञान, फिर भी आदित्य ठाकरे का दावा है कि वे राजनेताओं के लाडलों वाला ड्रीम शेयर नहीं करते। बल्कि अपने एनजीओ 'ड्रीम वी शेयर' को वे छात्र आंदोलन से जोड़ने का वादा करते हैं। पर लोग हैं कि उनके इस कदम को हर तरह से विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को शिवसेना की तरफ खींचने के प्रयासों से ही जोड़कर देख रहे हैं। पहले कविताएं लिखकर और फिर पिता शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ चुनावी सभाओं में जाकर वे पहले ही दर्शा चुके हैं कि लाइमलाइट उन्हें पसंद है। महज 19 साल की उम्र में वे जिस बेबाकी से मीडिया से बात करते दिखे, इससे भी साफ होता है कि वे पूरी तैयारी से मैदान में उतरे हैं। हां मैं बड़ा हो गया हूं। कॉलिज में (सेंट जेवियर्स) आ गया हूं तो बाल भी बड़े रख लिए हैं, दाढ़ी भी आ गई है। कुछ कविताएं लिखी हैं तो कुछ अधूरी पड़ी हैं। अलबम तो पता नहीं कब आएगा। एक दिन मैं अल्टामाउंट रोड से बांद्रा जा रहा था कि ट्रैफिक में बुरी तरह फंस गया। उसी वक्त लगा कि यह दिक्कत तो हर मुम्बईकर झेल रहा है। ऐसी ही और भी समस्याएं हैं। दोस्तों से चर्चा की, तो सबने माना कि शहर में समस्याएं हैं और यहां रहना है, तो हमें ही इसका ख्याल भी रखना होगा। शायना जी से इस बारे में बात हुई, तो उन्होंने भी हां कर दी। और अब हम 'आई लव मुम्बई' के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं कुछ कहना नहीं चाहता। बस युवाओं से आग्रह करूंगा कि अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा वक्त निकालकर शहर के लिए कुछ करें। ग्लोबल वार्मिंग और शंघाई जैसी बड़ी बातें करने के बजाय खुद पेड़ लगाएं, शहर को साफ रखें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। बातें छोटी हैं, पर इसी से शहर बेहतर होगा। वे सब सपोर्टिव हैं। उनके गाइडंस से ही हमने कॉलिज स्टूडंट्स के बीच जाकर सेमिनार किए और इस मुहिम से जोड़ना शुरू किया। प्लीज इसमें राजनीति को मत देखिए। मुझे राजनीति में आना होगा, तो सीधे आऊंगा। मुझे छिपकर या बाईपास से आने की क्या जरूरत है! पता नहीं। माता-पिता कहते हैं कि यह क्षेत्र संघर्ष का है, अगर आना है तो सोच-समझकर आना। अभी तो 19 साल का हूं। शहर के लिए कुछ करना चाहता हूं। आगे क्या करूंगा अभी सोचा नहीं है।
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