बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के चीफ राज ठाकरे ने सोमवार को कल्याण की अदालत के सामने सरेंडर किया। बाद में कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। उन्होंने 2008 में हुए दंगों से जुड़े मामले में सरेंडर किया, जिसमें रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने आए उत्तर भारतीयों पर हमला किया गया था। सरेंडर के समय राज ठाकरे की पत्नी भी उनके साथ थीं। राज के वकील सयाजी नागरे ने बताया कि अदालत के सामने खुद को पेश करने के बाद उन्होंने एक आवेदन देकर कहा कि वह सरेंडर कर रहे हैं। बाद में राज ठाकरे ने जमानत के लिए आवेदन किया। कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने गत 16 जून को इसी मामले में निचली
अदालत द्वारा ठाकरे को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने उनसे जून तक संबद्ध अदालत के सामने सरेंडर करने को कहा था। राज को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस रेखा सुंदरबलदोता ने उल्लेख किया कि इस अवसर पर ठाकरे को हिरासत में रखकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार के उस दावे को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि कल्याण की सत्र अदालत द्वारा राज को अग्रिम जमानत देना बेकार हो चुका है क्योंकि उन्हें रेलवे पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। हाई कोर्ट ने इसके बाद राज को निचली अदालत से मिली अंतरिम राहत को निरस्त कर दिया।
अदालत द्वारा ठाकरे को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने उनसे जून तक संबद्ध अदालत के सामने सरेंडर करने को कहा था। राज को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस रेखा सुंदरबलदोता ने उल्लेख किया कि इस अवसर पर ठाकरे को हिरासत में रखकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार के उस दावे को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि कल्याण की सत्र अदालत द्वारा राज को अग्रिम जमानत देना बेकार हो चुका है क्योंकि उन्हें रेलवे पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। हाई कोर्ट ने इसके बाद राज को निचली अदालत से मिली अंतरिम राहत को निरस्त कर दिया।
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