करीब साढ़े सोलह साल बाद जिन्न बोतल से बाहर है। लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आने से एक बार फिर अयोध्या के विवादित स्थल के साथ ही लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी सुर्खियों में आ गया है। विपक्षी दलों के प्रहार के बाद भी बीजेपी के दिग्गज इसे फिर से राम मंदिर के स्वाभिमान से जोड़कर माहौल को अपने हक में मोड़ने की कोशिश करेंगे। इस बीच, यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने कमिशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और दोषियों को दंड दिलाने की मांग करते हुए अल्पसंख्यकों को यह भी याद दिलाया है कि उस समय लखनऊ में बीजेपी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। मायावती ने भी नई रणनीति के तहत बीजेपी के साथ कांग्रेस को पूरी तरह लपेटने में कोई गुरेज नहीं किया। लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आते ही मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अयोध्या के विवादित ढांचे को ध्वस्त करने की जांच के नाम पर गठित लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आने में इतनी देरी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक हो। दोषियों को दंड मिले। इसमें कोई दो-राय नहीं कि संघ परिवार इस मुद्दे को अब अपने हक में घुमाने का पूरा इंतजाम करेगी। लालकृष्ण आडवाणी की यूपी में अब रोजाना 10 बैठकें लगाने की तैयारी भी शुरू की जा रही है। कमिशन की जद में आए मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, अशोक सिंघल और अन्य दिग्गजों के दौरे भी लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसे सीधे लिबरहान कमिशन से जोड़कर देखा जा सकता है। जिसका असर इंडिया के अंदर स्वाभाविक रूप से पड़ना है। बीजेपी अपने दिग्गजों को हीरो के रूप में पेश करके उसका लाभ आगामी यूपी के असेंबली इलेक्शन में उठाना चाहती है। रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी और संघ परिवार के तटस्थ लोगों का मानना है कि इस मसले पर जितना ज्यादा हंगामा मचेगा, उतना ही बीजेपी को लाभ मिलेगा तथा आडवाणी का ग्राफ फिर से ऊंचाई की ओर जा सकता है। बशतेर् खुद आडवाणी या इसी कद के कोई नेता से चूक न हो जाय। संयोग से कल्याण सिंह और मुरली मनोहर जोशी भी लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं और ऐसे में कल्याण सिंह का अगला रोल ही आडवाणी के राजनीतिक ग्राफ को ऊपर-नीचे कर सकता है। कमिशन की रिपोर्ट के बाद अयोध्या की सुरक्षा और तगड़ी कर दी गई है। साथ ही अयोध्या का नाम फिर देश-विदेश की निगाह में आ गया है।
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