मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सत्य के मार्ग पर चलने से सभी समस्याओं के स्थायी समाधान के साथ शांति और अंहिसा से देश एवं समाज के विकास के मार्ग को प्रशस्त किया जा सकता है।गहलोत ने आज नागौर जिले के लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती परिसर में तेरापंथ सम्प्रदाय के आचार्य महाप्रज्ञ के ९०वें जन्मदिवस पर आयोजित समारोह में कहा कि मन वचन और कर्म से किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए।उन्होंने कहा कि दस साल की आयु में जैन मुनि की दीक्षा लेने वाले आचार्य महाप्रज्ञ ने अंहिसा दर्शन को लेकर ८० साल तक देशभर में लंबी यात्राएं करके जो मार्गदर्शन दिया है उससे प्रेरणा पाकर भावी पीढ़ी आगे बढ़ेगी। ऐसे बहुत कम लोग मिलते है जो जीवनपंर्यत त्याग एवं तपस्या के बल पर युवा पीढ़ी को नयी रोशनी का मार्ग दिखाते है।आचार्य महाप्रज्ञ के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरूषों, संत महात्माओं एवं औलियाओं के जीवन दर्शन के प्रताप से देश तरक्की कर रहा है। इन संतों ने हमेशा शांति, प्रेम और अंहिसा का संदेश दिया है जिससे लोगों को अच्छे संस्कार मिले है। उन्होंने कहा कि हम सभी धर्मों का समान रूप से आदर करें।मुख्यमंत्री ने आतंकवाद, अलगाववाद एवं नक्सली ताकतों की ङ्क्षनदा करते हुए कहा कि इनके इरादों को नेस्ताबूद करके राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बनाये रखने के साथ हम देश में आपसी भाईचारा और अमन चैन कायम कर सकेंगे।गहलोत ने कहा कि धर्म और जाति के नाम पर होने वाले दंगों को सख्ती से रोकना होगा। समर्पण एवं प्रतिबद्वता की भावना से सबको मिलकर एकता और भाईचारे का संदेश देने की पहल करनी होगी। हमें यह संदेश गांव-गांव, ढाणी-ढाणी एवं जन-जन तक पहुंचाना है।उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भगवान महावीर के अंहिसा के सिद्धांत को अपना हथियार बनाकर अंग्रेजों को भारत से भगाया। इस बात का लोहा आज सभी मानते है।आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा कि धर्म में आध्यात्म और नैतिकता का प्रार्दुभाव है। इसलिए धर्म के नाम पर धोखा नहीं दिया जाना चाहिए।धर्म में वह शक्ति है जो बड़े-बड़े को धर्म का एहसास कराकर नतमस्तक करा देती है। इसलिए अंहकार से दूर रहकर धर्म को जोडऩे वालों का सम्मान करें।जन्मदिन के महत्व को प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति आत्मावलोकन करके अतीत को देखें और भविष्य के लिए आगे बढऩे का संकल्प लें। आचार्य महाप्रज्ञ ने धर्म की आस्था को अधिक प्रबल बनाने और अंहिसा का संकल्प लेने का आह्वान किया।युवाचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ के २५० वर्ष के इतिहास का उल्लेख किया और कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ पहले आचार्य है जो ९० वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी हमें प्रेरणा दे रहे है। उन्होंने मेगा हाईवे से जैन विश्व भारती तक सड़क निर्माण की मांग की।
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