भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा चुनाव में मिली हार से निराश हैं, लेकिन हताश नहीं। उनका मानना है कि भाजपा आज भी भारतीय राजनीति की बडी ताकत है और कांग्रेस का एकमात्र विकल्प। इसके उलट तीसरे-चौथे मोर्चे का सफाया हो गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन भाषण में उन्होंने घोर पराजय के भाव से पार्टी को उबारते हुए भरोसा जताया कि भाजपा एक दिन फिर वापस आएगी। साथ ही ऎलान किया की आने वाले महीनों में वे खुद पूरे देश का दौरा करेंगे।हर प्रदेश में जाएंगे और हार से निराश कार्यकर्ताओं को आगे के लिए तैयार करेंगे। स्पष्ट है कि आडवाणी भाजपा में अपनी नई पारी के लिए कमर कस चुके हैं। हालांकि उन्होंने युवाओं को पार्टी में आगे लाने की बात भी दोहराई। जेटली का बचावपिछले कई दिनों से जिस तरह हार का ठीकरा चुनाव प्रबंधक और रणनीतिकार अरूण जेटली के सिर फोडा जा रहा था, उसे देखते हुए उम्मीद थी कि आडवाणी अवश्य बचाव करेंगे। अपरोक्ष तौर पर ऎसा हुआ भी। आडवाणी ने रविवार को अपने मार्गदर्शन की शुरूआत राज्यसभा-लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए जेटली और सुषमा स्वराज व अन्य को बधाई देकर की।चुनाव अभियान पर उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों में जिन लोगों ने इसे चलाने में अथक मेहनत की है, उनके वे दिल से आभारी हैं। यह और बात है कि भरपूर निष्ठा-समर्पण से की गई कोशिशों के बावजूद चुनाव परिणाम आशा के अनुकूल नहीं रहे। नाकामी पर टिप्पणी अच्छी बात,अनुशासन तोडना ठीक नहींरणनीति व चुनाव प्रबंधन पर कमियां निकालने वालों के बारे में कहा कि सहयोगियों ने नाकामी पर अपनी टिप्पणियां की हैं और विश्लेषण भी हुए हैं। इस समीक्षा का मकसद किसी पर दोषारोपण नहीं है, बल्कि पार्टी को मजबूत बनाने की सही समझ विकसित करना है। इसका कार्यकर्ताओं में संदेश भी अच्छा जाएगा कि पार्टी के अंदर आंतरिक लोकतंत्र कायम है। इसके बाद, जोर का झटका धीरे से देते आडवाणी ने कहा कि खुलकर बोलना अच्छा है, लेकिन पार्टी अनुशासन तोडना ठीक नहीं। आलोचना करने वाले अपनी बात सार्वजनिक न करें।कमर कस लें, राजस्थान में भी डटकर काम करेंजल्द ही महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखण्ड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें से कम से कम दो राज्यों में पार्टी की सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। राजस्थान समेत उन राज्यों में ज्यादा डटकर काम करना होगा जहां पार्टी की मजबूत पकड थी, लेकिन अब वह हाशिए पर चली गई है। हिन्दुत्व से पीछे नहीं हटेंगेहिंदुत्व की विचारधारा और संघ-भाजपा सम्बंधों पर तमाम अटकलें खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि इसमें कोई भ्रम ही नहीं। पार्टी अपनी लाइन से पीछे नहीं हटेगी। मेनका से भिडे नकवी-शाहनवाज : मेनका गांधी शनिवार से अपने बेटे वरूण गांधी के कट्टर हिंदुत्व का बचाव करती रहीं। उन्होंने भाजपा के मुस्लिम सांसदों शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी को उन्होंने आडे हाथों भी लिया। रविवार को पारित किए गए राजनीतिक प्रस्ताव पर शाहनवाज बोलने के लिए उठे, तो उन्होंने फिर अल्पसंख्यकों को भी साथ लेकर चलने के सुझाव पर जोर दिया। मेनका को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने शाहनवाज को टोक दिया। इस पर नकवी खडे हुए और तमतमाकर बोले कि आप बैठ जाएं। जितना कुछ कहना था कल आपको मौका मिला और आपने कहा भी। अब दूसरों के बोलने दीजिए। नोक-झोंक बढती देख राजनाथ ने मेनका को बैठने के लिए कहा। मेनका के लिए स्थिति तब और खराब हो गई जब शिवराज सिंह चौहान, सुशील मोदी और गोपीनाथ मुंडे के बाद खुद आडवाणी ने शाहनवाज और नकवी के सुझाव पर मुहर लगा दी।
No comments:
Post a Comment