भाजपा की राष्ट्रीय नेता और लोकसभा में उपनेता सुषमा स्वराज ने स्वीकार किया है कि भाजपा में जबर्दस्त अंतर्द्वद्व मचा हुआ है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की ओर से मामले का पटाक्षेप करने के बाद अब वो इस बारे में कुछ भी बोल कर विवाद को और बढाना नहीं चाहतीं।एक सवाल पर उन्होंने कहा "जब ज्वालामुखी फूट रहा हो तो चिनगारी डालने से बचना चाहिए।" राजनाथ एक दिन पहले ही नेताओं को पार्टी की आंतरिक गतिविधियों के बारे में मीडिया में बयान देने से बचने की सख्त हिदायत देते हुए इसके उल्लंघन पर कडी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दे चुके हैं। विदिशा संसदीय क्षेत्र में धन्यवाद सभा के सिलसिले में भोपाल आई सुषमा ने रविवार को निवास पर संवाददाताओं से अनौपचारिक चर्चा की। पार्टी में चल रही उथल-पुथल के बारे में उन्होंने कहा, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अनुशासनहीनता के मामले में स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने पार्टी का सख्त रूख भी जाहिर कर दिया है। लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा व कुछ जगहों पर हार के विश्लेषण के बारे में भी अब पार्टी फोरम पर ही बोलेंगे। सभी प्रान्तों में रिपोर्ट तैयार हो रही है जो राष्ट्रीय कार्यसमिति में रखी जाएगी। मध्यप्रदेश के परिणामों के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कई बार चर्चा हुई है। प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से उनकी कोई बात नहीं हुई। खास तौर पर मालवा में मिली हार का आकलन चल रहा है। -उप्र के नतीजे बता रहे उमा की उपयोगिताभाजपा में उमा भारती की उपयोगिता से जुडे सवाल पर सुषमा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के नतीजे सामने हैं। उसी से अंदाजा लगा लीजिए। इस बारे में और कुछ नहीं कहूंगी। लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में भाजपा को 80 सीटों में से 10 सीटें ही मिली। 2004 के चुनाव में भी भाजपा की 10 ही सीटें थीं। राजस्थान, उत्तराखण्ड, दिल्ली ने दिया झटकासुषमा के अनुसार पार्टी को राजस्थान, उत्तराखण्ड और दिल्ली के नतीजों से बडा झटका लगा है। ऎसी उम्मीद नहीं थी। दिल्ली में कम से कम तीन सीटों पर जीत की उम्मीद थी।
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