अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग से एक अप्रेल तक उसे यह बताने को कहा है कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पूछताछ के लिए बुलाएगा या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश एस.जे. मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अकील कुरैशी की खण्डपीठ ने गुजरात सरकार के वकील से एक अप्रेल तक आयोग से यह पता करने को कहा है कि आयोग ने सितम्बर 2009 के अपने आदेश में मोदी और अन्य को नहीं बुलाने का जो फैसला किया था वह अंतिम फैसला था या फिर अस्थायी।
गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मंच (जेएसएम) की याचिका की सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने सरकारी वकील को यह आदेश दिया। मंच वर्ष 2002 के दंगे के पीडितों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
आयोग का कहना हैआयोग ने पिछले ही महीने न्यायालय को अपनी जांच की स्थिति से अवगत कराया था। आयोग ने अपनी चिटी में कहा था कि उसने इकटा हुए सभी साक्ष्यों और रिकॉर्ड किए गए बयानों का विश्लेषण पूरा कर लिया है और अब वह रिपोर्ट लिखने वाला है। आयोग के अनुसार उसने 27 फरवरी, 2002 और 31 मई, 2002 के बीच के 4145 मामलों की जांच की।
एसआईटी ने नहीं बुलाया'गांधीनगर । मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एसआईटी के समक्ष उपस्थित होने के मुद्दे को लेकर सोमवार को जनता के नाम खुले पत्र में कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए एसआईटी ने नहीं बुलाया। गत रविवार तक एसआईटी के समक्ष पेश होने के सन्दर्भ में न तो उन्हें कोई समन मिला और ना ही कोई नोटिस मिला है। इतना ही नहीं, बल्कि इस सन्दर्भ में प्रकाशित समाचारों को उन्हें बदनाम करने की साजिश बताते हुए कहा कि इस प्रकार की झूठ फैलाने के मुद्दे की गंभीरता के साथ जांच कराए जाने की जरूरत है।
मोदी ने बयान में कहा कि पिछले आठ वर्षो से उन पर तरह-तरह के आरोप लगाने का फैशन हो गया है। वर्ष 2002 की गोधरा त्रासदी के बाद वे विधानसभा गृह के अलावा सार्वजनिक रूप से अनेक बार कह चुके हैं कि देश का संविधान व कानून सबसे ऊपर है। कोई भी नागरिक यदि मुख्यमंत्री भी है तो वह भी कानून की पालना से परे नहीं है। वे इसे स“ाी भावना के साथ निभाते आए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस.जे. मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अकील कुरैशी की खण्डपीठ ने गुजरात सरकार के वकील से एक अप्रेल तक आयोग से यह पता करने को कहा है कि आयोग ने सितम्बर 2009 के अपने आदेश में मोदी और अन्य को नहीं बुलाने का जो फैसला किया था वह अंतिम फैसला था या फिर अस्थायी।
गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मंच (जेएसएम) की याचिका की सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने सरकारी वकील को यह आदेश दिया। मंच वर्ष 2002 के दंगे के पीडितों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
आयोग का कहना हैआयोग ने पिछले ही महीने न्यायालय को अपनी जांच की स्थिति से अवगत कराया था। आयोग ने अपनी चिटी में कहा था कि उसने इकटा हुए सभी साक्ष्यों और रिकॉर्ड किए गए बयानों का विश्लेषण पूरा कर लिया है और अब वह रिपोर्ट लिखने वाला है। आयोग के अनुसार उसने 27 फरवरी, 2002 और 31 मई, 2002 के बीच के 4145 मामलों की जांच की।
एसआईटी ने नहीं बुलाया'गांधीनगर । मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एसआईटी के समक्ष उपस्थित होने के मुद्दे को लेकर सोमवार को जनता के नाम खुले पत्र में कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए एसआईटी ने नहीं बुलाया। गत रविवार तक एसआईटी के समक्ष पेश होने के सन्दर्भ में न तो उन्हें कोई समन मिला और ना ही कोई नोटिस मिला है। इतना ही नहीं, बल्कि इस सन्दर्भ में प्रकाशित समाचारों को उन्हें बदनाम करने की साजिश बताते हुए कहा कि इस प्रकार की झूठ फैलाने के मुद्दे की गंभीरता के साथ जांच कराए जाने की जरूरत है।
मोदी ने बयान में कहा कि पिछले आठ वर्षो से उन पर तरह-तरह के आरोप लगाने का फैशन हो गया है। वर्ष 2002 की गोधरा त्रासदी के बाद वे विधानसभा गृह के अलावा सार्वजनिक रूप से अनेक बार कह चुके हैं कि देश का संविधान व कानून सबसे ऊपर है। कोई भी नागरिक यदि मुख्यमंत्री भी है तो वह भी कानून की पालना से परे नहीं है। वे इसे स“ाी भावना के साथ निभाते आए हैं।
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