प्रदेश भाजपा में शुरू हुई कलह बढ़ती जा रही है। प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे और संगठन के दूसरे गुट के बीच खींचतान तेज हो गई है। सहकारिता चुनाव समन्वयकों की सूची पर विवाद के बाद वसुंधरा गुट के माने जाने वाले प्रदेश महामंत्री रामपाल जाट ने बुधवार को त्याग पत्र दे दिया। उधर राजे विरोधी गुट ने उन्हें हटाने के लिए दबाव बढ़ा दिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी बुधवार को दिल्ली में थे और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी हुई। यहां राजे समर्थक विधायकों ने जुटना शुरू कर दिया है और सम्भावना है कि वे एक-दो दिन में शक्ति प्रदर्शन के लिए दिल्ली जा सकते हैं।राजे समर्थक जुटेपार्टी में खींचतान के बीच बुधवार को राजे समर्थक विधायकों, राजेन्द्र राठौड़, डॉ. दिगम्बर सिंह, भवानी सिंह राजावात, हरिसिंह रावत, अजय किलक, गजेन्द्र सिंह खींवसर, राधेश्याम गंगानगर, ओम बिड़ला तथा अन्य नेताओं रामपाल जाट, पूर्व मंत्री सांवरलाल जाट, एस.एन. गुप्ता आदि ने राजे से मुलाकात की और अलग बैठक भी की। राजे समर्थकों का कहना है कि प्रतिपक्ष के नेता के बारे में कोई फैसला करने से पहले विधायकों की राय जरूरी है। इन विधायकों ने हस्ताक्षर अभियान चलाने व दिल्ली जाने का फैसला किया।रामपाल जाट का त्याग पत्रइस बीच पार्टी के प्रदेश महामंत्री रामपाल जाट ने सहकारिता चुनाव के समन्वयकों की सूची को ले कर उठे विवाद के बाद महामंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह सूची प्रदेश अध्यक्ष की सहमति से जारी हुई थी, इसके बावजूद उन्होंने बैठक में इससे इनकार कर दिया। इससे मैं आहत हूं। जब अध्यक्ष व महामंत्री के बीच विश्वास नहीं रह जाए, तो पद पर बना रहना उचित नहीं है, इसलिए मैंने त्याग पत्र दिया है। जाट का कहना है कि वे बिना पद के काम करेंगे और प्रदेश की 9188 ग्राम पंचायतों का दौरा कर पार्टी को मजबूत करेंगे।उधर इस बारे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी का कहना है कि उनके अध्यक्ष बनते ही पुरानी कार्यकारिणी स्वत: भंग हो गई थी और नई कार्यकारिणी अभी घोषित नहीं की गई है। ऎसे में जाट ने किस पद से त्याग पत्र दिया है।
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