कांग्रेस, एनसीपी, बीजेपी के मुकाबले शिवसेना ने हर लिहाज से चुनाव के लिए खुद को तैयार कर लिया है। पार्टी के ढांचे में फेरबदल करने के बाद कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उसे टेक्नोसैवी बनाया है। अब वे शिवसेना को नया चेहरा देने के लिए सही और यंग उम्मीदवारों एवं पदाधिकारियों की गंभीरता से तलाश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को मिली कामयाबी के कारण शिवसेना में असमंजस और कुछ हद तक हताशा का माहौल था पर शिवसेना भवन में जमा हो रही भीड़ का जोश देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवसेना मनसे के फीवर से उबर चुकी है। राज ठाकरे की निकटतम साथी श्वेता परुलकर के शिवसेना में आ जाने से उसे सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं। जिन शिवसैनिकों में अब भी असमंजस है, ठाकरे यह याद दिलाकर उनमें जोश लाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोकसभा में मुम्बई, ठाणे में भले शिवसेना को झटका लगा हो ग्रामीण इलाके में उसकी पकड़ बरकरार रही है। यह भी याद दिलाया जा रहा है कि शिवसेना को बीजेपी एवं एनसीपी से ज्यादा सीटें मिली है। लोकसभा में एनसीपी को नौ, बीजेपी को दस और शिवसेना को 11 सीटें मिली है। ग्रामीण क्षेत्र पर पकड़ कायम रखने के लिए ठाकरे ने विदर्भ, मराठवाड़ा और खानदेश का दौरा शुरू किया है। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के नांदेड शहर में गत रविवार को उद्धव की विशाल सभा हुई। शिवसैनिकों में उत्साह लौटाने के लिए यह दौरा उपयुक्त साबित होने की चर्चा है।
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