Sunday, August 9, 2009

भाजपा नेताओं में गर्मा-गर्मी

सरकार खोने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी में धडेबंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। रविवार को प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ललितकिशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभडा, गुलाबचंद कटारिया आदि नेताओं में खूब गर्मा-गर्मी हो गई। चतुर्वेदी की अध्यक्षता में बुलाई गई आज पहली बडी बैठक में राजे का भाषण नहीं हुआ। राजे समेत कई नेता खाना छोडकर चले गए। शाम तक चलने वाली बैठक दोपहर में खत्म करनी पड गई। पार्टी मुख्यालय में बैठक सदस्यता अभियान, पालिका-पंचायत-सहकारिता चुनाव, अकाल, कानून व्यवस्था आदि मसलों पर चर्चा के लिए हुई थी।
.....और फिर आपस में उलझेबाद में कोर ग्रुप की बैठक के नाम से अरूण चतुर्वेदी, राजे व सभी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अलग कमरे में चले गए जहां फिर तनातनी हुई। भाभडा ने कटाक्ष किया कि उन्होंने तो पहले ही आशंका जता दी थी कि समानान्तर गतिविधियां चलेंगी। ललित चतुर्वेदी बीच में कुछ बोलने लगे तो राजे ने उनसे कहा बताया कि आपको हमने प्रदेशाध्यक्ष बनाया, राज्यसभा में भेजा...।
चतुर्वेदी ने पलटकर पांच साल जैसे तैसे गुजारने की बात कही, इस पर महेश शर्मा, कटारिया, ओमप्रकाश माथुर आदि नेताओं ने आपस में शांति से बैठकर बात करने की सलाह देते हुए शांत कराने की कोशिश की। राजे की शिकायत थी कि कोटा में ऎसे लोगों को सदस्यता अभियान का प्रभारी बना दिया जिन्हें पार्टी निलंबित कर चुकी।
-बहुत बढिया बैठक हुई। ऎसी कोई बात नहीं हुई। मैंने वहीं खाना खाया।-ललित किशोर चतुर्वेदी
-बहुत अच्छी बैठक रही।-गुलाब चंद कटारिया
-मैंने पार्टी मंच पर अपनी बात कही है। मेरा इतना सा कहना था कि मुझे भी पूछ लेते।-दुर्गासिंह रूद्र
-मैडम घर से खाना लेकर आई थी।-महेन्द्र भारद्वाज, प्रेस सलाहकार, नेता प्रतिपक्ष
यूं हुई शुरूआत...सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दुर्गासिंह रूद्र ने दो दिन पहले सहकारिता चुनाव के लिए बनाई नेताओं की टीम का यह कहते हुए विरोध जताया कि मैं अध्यक्ष हूं और मुझे पूछा तक नहीं, इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया। कई ऎसे लोगों को इसमें लिया गया है, जो भाजपा के नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष चतुर्वेदी ने रूद्र का गुस्सा शांत करने का प्रयास करते हुए सफाई दी कि सूची मेरे नाम से प्रदेश महामंत्री रामपाल जाट ने जारी की है। उन्होंने त्याग पत्र नामंजूर होने की भी बात कही। इस पर राजे ने विरोध जताया और उन्होंने चतुर्वेदी व रूद्र के लिए टिप्पणी की कि उन्हें कोई उकसा रहा है। ललितकिशोर चतुर्वेदी व कटारिया ने अरूण का पक्ष लिया। राजे ने सहकारिता प्रभारियों की सूची में दखल का कारण विधायकों को शामिल करना बताया तो कटारिया ने सवाल किया बताया कि वे भी विधायक हैं, उनका नाम तो नहीं है।
और खाना छोड गएराजे, चतुर्वेदी, माथुर, घनश्याम तिवाडी, रामदास अग्रवाल आदि नेताओं ने वहां खाना नहीं खाया। कटारिया, भाभडा, शर्मा ने वहीं भोजन किया।

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