स्वाइन फ्लू ने बेशक दुनिया भर में दहशत फैला रखी हो, लेकिन लगता है कि यूपी सरकार को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। कम से कम इस बीमारी से निपटने की सरकार की तैयारियों को देखकर तो ऐसा ही लगता है। प्रदेश सरकार ने इस बीमारी से मुकाबले के लिए राज्य में 12 स्थानों पर स्पेशल आइसोलेशन वॉर्ड बनाए हैं। इनमें एक वॉर्ड नोएडा के जिला अस्पताल में भी बनाया गया है। लेकिन यहां मरीजों को न के बराबर सुविधाएं दी जाती हैं। आइसोलेशन वॉर्ड का नजारा तो किसी को भी हैरत में डालने के लिए काफी है। अस्पताल प्रशासन ने जनरल वार्ड नंबर-तीन में एक कोने में बने नर्सेज केबिन के बाहर पट्टी लगाकर उस पर आइसोलेशन वॉर्ड लिख दिया है। इस केबिन के ऊपर कोई छत नहीं है और पास के बेड पर लेटे मरीजों के वायरस एक दूसरे में आसानी से पहुंच सकते हैं। इस तथाकथित आइसोलेशन वॉर्ड में एक बेड और एक कूलर की व्यवस्था की गई है। कूलर खाली रहता है और उसमें पानी भरने की किसी को फुरसत नहीं है। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रशासन के पास स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए कोई दवा या टेस्ट किट भी नहीं है। ऐसे में यदि स्वाइन फ्लू का कोई मरीज आ जाए तो अस्पताल कर्मी उसके इलाज के लिए कितनी हिम्मत जुटा पाएंगे। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अस्पताल की चीफ मेडिकल सुपरिटंडंट डॉक्टर राजरानी कंसल का कहना है कि शासन ने दवा भेजी ही नहीं तो वे क्या करें। शासन का मौखिक निर्देश है कि स्वाइन फ्लू का कोई संदिग्ध केस आने पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रेफर कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि फिलहाल अस्पताल में बीमारी से पीड़ित कोई मरीज अब तक नहीं आया है। NBT
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