Friday, August 28, 2009

परमाणु प्रतिरोध क्षमता का बचाव

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने गुरूवार को भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता का बचाव किया है। दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने पूर्व परमाणु वैज्ञानिक के. संथानम के वर्ष 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों की विफलता के दावे को खारिज कर दिया है। देश के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करने वाले कलाम ने कहा कि वर्ष 1998 में थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण पूरी तरह सफल रहा था। उल्लेखनीय है कि पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षणों में समन्वयक की भूमिका निभाने वाले के. संथानम ने दावा किया था कि वे परीक्षण पूरी तरह सफल नहीं थे। कलाम ने बताया कि परीक्षण के बाद परिणामों की दो आधारों पर विस्तृत समीक्षा की गई थी। पहला, विस्फोट स्थल के आसपास लगे भकंप संबंध उपकरण और दूसरा, परीक्षण के बाद घटनास्थल से रेडियोएक्टिव पदार्थो के नमूनों का संग्रहण। उन्होंने कहा कि परियोजना दल द्वारा स्थापित आंकडों के मुताबिक परीक्षण सफल रहा था। परीक्षण के कुछ महीनों बाद कलाम ने कहा था कि परीक्षण से 45 किलोटन ऊर्जा पैदा हुई थी। संथानम के उद्घाटने के बारे में पूछे जाने पर ब्रजेश ने कहा, प्रश्न यह है कि हम उन पर विश्वास करें या उनके बॉस (कलाम) परक् उन्होंने कहा, संथानम देश को गुमराह कर रहे हैं। ऎसा इसलिए है कि वह शायद व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि (सीटीबीटी) के विरोध में हैं। इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व शीर्ष अधिकारी एवं 1998 के परमाणु परीक्षण के समन्वयक रहे के. संथानम के परीक्षण के सुरक्षा के लिहाज से विफल रहने के दावे पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हैरानी जताई। चिदंबरम ने गुरूवार को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि वह एक अखबार में प्रकाशित इस रिपोर्ट को देखकर अचरज में पड गए कि पोखरण में हुइ दि्वतीय परमाणु परीक्षण इच्छित नतीजे पाने में नाकाम रहे थे। उन्होंने कहा, मैंने यह रिपोर्ट देखी है। मैं हैरान हूं। सरकार इसका पता लगाएगी।

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