Thursday, August 20, 2009

60 विधायकों, 4 सांसदों का साथ

नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर खींचतान के बीच वसुन्धरा राजे के इस पद पर बने रहने के समर्थन में 60 विधायकों और चार सांसदों के होने की बात सामने आई है। इन विधायकों और सांसदों ने अपने समर्थन के पत्र वसुन्धरा राजे को भेजे हैं। वसुन्धरा राजे के नजदीकी सूत्रों का दावा है कि प्रदेश के 60 विधायकों और सांसदों ने उनके नेता प्रतिपक्ष पद पर बने रहने का समर्थन किया है और वे चाहते हैं कि राजे यह पद नहीं छोडें। नाम न छापने की शर्त पर इनमें से कुछ विधायकों ने कहा कि विधायकों का ही नहीं जनता का समर्थन भी मिल रहा है।
दो विधायकों के निलम्बन से भी रोषइन विधायकों में विधायक दल के सचेतक राजेन्द्र राठौड और विधायक ज्ञानदेव आहूजा को निलम्बित किए जाने पर भी रोष है। इनका कहना है कि जब सब कुछ सही हो रहा था, तो इन्हें निलम्बित करने की जरूरत नहीं थी। उधर राजेन्द्र राठौड के कुछ समर्थक गुरूवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी से मिले।
कानून भी साथराजे का समर्थन कर रहे इन विधायकों को पार्टी निकाल भी देती है, तो वे भाजपा के ही सदस्य माने जाएंगे, क्योंकि संविधान के दसवें अनुच्छेद के अनुसार सदस्य जिस पार्टी से चुनाव जीतता है, वही पार्टी उसके पूरे सदस्यताकाल में रहती है। सुप्रीम कोर्ट भी ऎसा निर्णय दे चुका है और इसने असम्बद्ध सदस्य को कानून सम्मत नहीं माना है। राजे के पास चूंकि अधिक सदस्यों का समर्थन है, इसलिए वे प्रतिपक्ष की नेता बनी रह सकती हैं।
संगठन सक्रिय करने में जुटे चतुर्वेदीप्रदेश भाजपा में चल रही खींचतान के बीच प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी संगठन को सक्रिय करने में जुट गए हैं। उन्होंने युवा मोर्चा को सदस्यता अभियान पर ध्यान देने और महिला मोर्चा को महंगाई व कानून व्यवस्था पर आंदोलन करने को कहा है। वे सदस्यता अभियान की मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर पर चल रही खींचतान की ओर ध्यान न देने की नसीहत चतुर्वेदी पहले ही कार्यकर्ताओं को दे चुके हैं। गुरूवार को चतुर्वेदी ने महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद युवा मोर्चा ने 18 से 25 वर्ष के मतदाताओं को जोडने के लिए 22 से 29 अगस्त तक विशेष सदस्यता अभियान चलाने की घोषणा की।

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