Monday, August 24, 2009

''आडवाणी को अभी तक भुलाया नहीं''

भाजपा आलाकमान की लाख कोशिशों के बावजूद पार्टी में जारी घमासान थमने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। जिन्ना प्रकरण को लेकर जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी के नेता अनुशासन के चाबुक की फटकार सुनकर चुप हो जाएंगे लेकिन अब पूर्व विनिवेश मंत्री अरूण शौरी ने भाजपा और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर हमला बोल दिया है। उन्होंने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में भाजपा को कटी पतंग बताते हुए राजनाथ सिंह को ''एलिस इन ब्लंडरलैंड'' करार दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपील की कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को हटाकर कमान अपने हाथों में ले। अरूण शौरी ने यह भी कहा कि पार्टी का नेतृत्व राज्यों से लिया जाए। अरूण शौरी के बयान को भाजपा ने अनुशासनहीनता करार देते हुए कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह बयान देकर अरूण शौरी ने अपने खिलाफ कार्रवाई को न्यौता दे दिया है। पत्रकार से नेता बने अरूण शौरी को भाजपा का गंभीर और विचारक चेहरा माना जाता है। वह वाजपेयी सरकार में कामयाब मंत्री रहे और अपना दामन उजला रखा। शौरी ने साफगोई का अपना पत्रकारीय गुण राजनीति में भी नहीं छोड़ा। वह अखबारों में लिखते रहते हैं, जो इन दिनों पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है। भाजपा की हार के बाद सच का सामना करने की मांग उठाने वाली तिकड़ी में जसवंत और यशवंत सिन्हा के साथ वह भी शामिल थे।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जिन्ना प्रेम के लिए भाजपा से निष्कासित नेता जसवंत सिंह की जहाँ जमकर खबर ली है, वहीं यह भी जता दिया है कि 2005 में पाकिस्तान के संस्थापक को 'सेक्युलर' बताने वाले लालकृष्ण आडवाणी के आचरण को उसने अभी भुलाया नहीं है।संघ ने जसवंत सिंह या उनकी पुस्तक का नाम लिए बिना कहा कि भारतीय जनमानस में जिन्ना को 'दुष्टात्मा से महात्मा' साबित करने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन केवल समय ही बताएगा कि ये कोशिशें कहाँ तक कामयाब होती हैं।पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी द्वारा जिन्ना को 'सेक्युलर' बताए जाने पर भी परोक्ष प्रहार करते हुए संघ के मुखपत्र 'आर्गनाइजर' के संपादकीय में कहा गया कि यह शोध का विषय होगा कि जिन्ना की प्रारंभिक राजनीति सेक्युलर थी या पाकिस्तान के गठन के बाद उनके एक भाषण में अल्पसंख्यकों की ओर हमदर्दी का हाथ बढ़ाने मात्र से वे पाकिस्तान के हिन्दुओं प्रति उदार हो गए।गौरतलब है कि 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी ने जिन्ना के संविधान सभा में दिए इस भाषण का हवाले से ही उन्हें सेक्युलर घोषित कर दिया था, जिसकी कीमत उन्हें भारत आने पर भाजपा के अध्यक्ष पद से हट कर चुकानी पड़ी।संपादकीय में कहीं भी सरदार पटेल का नाम नहीं लिया गया और जिन्ना की इस बात के लिए आलोचना की गई कि उन्होंने हमेशा गाँधीजी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद के लिए अभद्र और गाली-गलौच वाली भाषा का प्रयोग कर इन नेताओं का अपमान किया। कुंठित जिन्ना ने कांग्रेस को हिन्दू पार्टी, गाँधी, नेहरू और अन्य कांग्रेसी नेताओं को हिन्दू नेता तथा मौलाना आजाद को 'हिन्दुओं का गुलाम' बताकर हमेशा उनका तिरस्कार किया।

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