लोकसभा में दमदार वक्ता के तौर पर उभरे नए चेहरों में राजस्थान के प्रभारी सांसद गोपीनाथ मुंडे और बीकानेर के सांसद अर्जुन मेघवाल भी शामिल हैं। बीड़ लोकसभा सीट से जीते मुंडे इससे पूर्व महाराष्ट्र विधानसभा में अपनी पारी खेल चुके हैं जिसका अनुभव उनके काम आया लेकिन मेघवाल बिल्कुल नए खिलाड़ी हैं। बावजूद इसके संसद के निचले सदन में उन्होंने आठ-दस बार आवाज उठाई और हर बार प्रभावशाली सिद्ध हुए।उपनेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के अनुसार, पन्द्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र में भाजपा ने नए सांसदों एवं दूसरी बार जीते सांसदों को प्रोत्साहित करने की भरसक कोशिश की। इसके तहत तमाम नए सांसदों को बोलने का मौका दिया गया और वे कसौटी पर खरे भी उतरे। किसी भी मुद्दे पर बहस की शुरूआत वरिष्ठ नेता से कराई गई और बीच में अब तक चुप रहने वाले अथवा नए सांसदों को बोलने का अवसर दिया गया। गोपीनाथ मुंडे और अर्जुन मुंडा दोनों क्रमश: महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभाओं में अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन लोकसभा में पहली पारी के कारण उनमें एक संकोच जरूर था। धीरे-धीरे उनकी धड़क खुली और जमकर बोले।बिल्कुल नए सांसदों में राजस्थान के अर्जुन मेघवाल, बेल्लारी की सांसद शांता, झारखंड के निशिकांत दुबे, बिहार के डाक्टर संजय जायसवाल, मध्य प्रदेश के भूपेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ की सरोज पांडे का सदन में प्रदर्शन सराहनीय रहा। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के बेटे अनुराग भले उपचुनाव जीतकर चौदहवीं लोकसभा में पहुंच गए लेकिन तकनीकी रूप से देखा जाए तो उनके लिए भी अभी संसद नया है। अनुराग ने भी तमाम मसलों पर पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री येaीयूरप्पा के बेटे इस मामले में पिछड़ गए। हालांकि वजह उनकी बीमारी रही। दूसरी बार सदन में पहुंचे मध्य प्रदेश के राकेश व गणेश सिंह ने पिछली बार के मुकाबले इस बार जोरदार तरीके से बात रखी।सुषमा ने विपक्ष के तौर पर भाजपा की भूमिका को काबिलेतारीफ बताते हुए कहा कि छोटी से छोटी बात पर नजर रखी गई। सत्ता पक्ष को उसकी ही बातों का हवाला देकर घेरा गया। चाहे प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा पर नेता सदन का जवाब हो या फिर नियमों की अनदेखी कर रबर विधेयक पारित कराने का मामला, सरकार को बच निकलने का एक भी मौका नहीं दिया गया। इसमें नए चेहरों का योगदान उल्लेखनीय रहा।
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