Tuesday, August 18, 2009

ग्रामसभा मजाक बन कर रह गई

पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री भरत सिंह ने कहा कि ग्रामसभा मजाक बन कर रह गई है। ना तो लोगों को ग्रामसभा पर विश्वास है और ना ही सरपंच में आस्था। यही कारण है कि लोग ग्रामसभा में नहीं आते।
सिंह मंगलवार को सेंटर फॉर सोशल डवलपमेंट (सीएसडी) की ओर से आयोजित 'पर्यावरण और जनजातीय अधिकार' विषयक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। सिंह ने कहा कि हमारी व्यवस्था ऎसी है कि जिसको वास्तविक लाभ मिलना चाहिए, उसे नहीं मिलता। बीच में ही कोई और उसका फायदा उठा लेता है। जैसे कि बीपीएल का लाभ वास्तविक गरीब की बजाय अन्य लोग उठा रहे हैं। इसी प्रकार जनजातीय कानून का फायदा वास्तविक लोगों को नहीं मिल पाता।
उन्होंने बिगडते पर्यावरण पर कहा कि एक बार नष्ट होने के बाद जंगल फिर से नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए चिंतन की आवश्यकता है। क्योंकि पर्यावरण बिगडने से परिस्थितियां बिगडेंगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष मुख्य वन संरक्षक पी.एस. सोमशेखर ने कहा कि वन संरक्षण कानून में अगर मानवीय पक्ष का ध्यान रखा जाता तो जनजातीय कानून की आवश्यकता नहीं पडती। उन्होंने वन संरक्षण कानून और जनजातीय कानून पर विचार व्यक्त किए। सीएसडी के अध्यक्ष पी.सी. हाडिया ने स्वागत भाषण दिया और निदेशक मंजू राय ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में विभिन्न गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं शोधछात्र शामिल हुए।

No comments: