संसद के आखिरी दिन राज्यसभा में बहुत ही रोचक विषय उठा। मामला भिखारियों से जुड़ा था और उठाने वाले थे भाजपा सांसद प्रभात झा। उन्होंने देश के लगभग 1 करोड़ 75 लाख भिखारियों की दशा का हवाला देते हुए ऎसा सवाल खड़ा किया कि सरकार को भी बगले झांकने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह मामला विशेष उल्लेख में उठाया गया। झा ने कहा कि देश में गरीबी मिटाने, बेकारी खत्म करने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, समाज के इस वर्ग को देखने की फुर्सत सरकार को नहीं है। देश में गरीबी रेखा से नीचे और ऊपर की दो श्रेणियां हैं परन्तु भिखारियों के लिए इन दोनों श्रेणियों में कोई स्थान नहीं दिया गया है। उन्होंने समाज में दोयम दर्जे का जीवन जीने वाले इस वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने की मांग करते हुए कहा कि सरकार अशक्त और अजीर्ण लोगों के लिए जिस तरह का बंदोबस्त करती है उसी तरह की व्यवस्था देश के कोने-कोने में फैले भिखारियों के लिए भी करे। उनका कहना था कि भिखारियों के लिए उचित प्रबंधन करने से जहां अपराध में कमी आएगी वहीं भारतीय समाज में बुजुर्ग, अशक्त लोगों की सदैव से मदद करने की जो परम्परा रही है उसका पालन होगा।
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