पार्टी से निकाले जाने के बाद लगता है, जसवंत सिंह पूरा बदला ले लेना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी की 'पोल' खोलनी शुरू कर दी है। उनका निशाना खासतौर पर लाल कृष्ण आडवाणी दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें दुख है कि जिन्ना मुद्दे पर आडवाणी ने उनका साथ नहीं दिया। जिन्ना पर बयान देने पर आडवाणी भी मुसीबत में थे और तब जसवंत सिंह ने उनका साथ दिया था। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जसवंत सिंह ने कहा है कि उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान कंधार प्रकरण पर आडवाणी का पक्ष लिया था। जसवंत ने कहा कि मैंने यह कहकर आडवाणी का बचाव किया था कि जब मैं आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा था, तो आडवाणी इस बारे में आडवाणी कुछ नहीं जानते थे। जसवंत ने कहा कि दरअसल आडवाणी पैसेंजरों की रिहाई के एवज में आतंकवादियों को छोड़े जाने के फैसले से अवगत थे। वे जानते थे कि मैं आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा हूं।
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