Tuesday, August 18, 2009

जसवन्त की फजीहत

अपनी पुस्तक 'जिन्ना-इण्डिया, पार्टीशन, इण्डिपेन्डेन्स' में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को महान बताने पर पूर्व विदेश व वित्त मंत्री जसवन्त सिंह भाजपा में अलग-थलग पड गए हैं। पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने मंगलवार को साफ कहा कि जसवंत सिंह का वक्तव्य पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है।
विचारधारा के खिलाफराजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा, 'जसवन्त सिंह के व्यक्त विचारों से भाजपा अपने को पूर्णत: अलग करती है। पुस्तक में व्यक्त विचार किसी भी रूप में भाजपा के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करते।' उन्होंने कहा कि भारत विभाजन वाले कालखण्ड में उत्पन्न अस्थिरता और करोडों लोगों के बेघरबार होने के दु:खद घटनाक्रम में जिन्ना की भूमिका जगजाहिर है। सरदार वल्लभभाई पटेल ने उस चुनौती भरे नाजुक दौर में देश की एकता और अखण्डता को सुदृढ करने में एक ऎतिहासिक भूमिका निभाई।
भाजपा पर बरसे ठाकरे इस बीच शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने मुखपत्र सामना में कहा है कि जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताना उन लोगों का अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया। पहले आडवाणी और अब जसवन्त सिंह भी इस भ्रम को बढावा दे रहे हैं। ठाकरे ने सम्पादकीय में पूछा है कि जिसने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की वह धर्मनिरपेक्ष कैसे हो सकता है। लगता है भाजपा में खुद को जिन्ना का अनुयायी दिखाने के लिए प्रतिस्पर्धा हो रही है।

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