Wednesday, May 20, 2009

मंत्रिमंडल बंटवारे पर लगभग सहमति

सरकार गठन के लिए सहयोगी दलों के बीच मंत्री पदों के बंटवारे को लेकर बातचीत आखिरी दौर में है। दो बड़े दल तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के दावों पर आखिरी सहमति बनाने की कोशिश हो रही है और राकांपा के हिस्से में पिछली बार की तरह ही दो कैबिनेट मंत्री पद जाने की संभावना है। हालांकि झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की किस्मत शायद इस बार भी उनका साथ न दे। कांग्रेस के सभी बड़े नेता फिर से मंत्रिमंडल में मौजूद होंगे। हां, उनके विभाग जरूर बदले जा सकते हैं। इस बार अपेक्षाकृत कम दलों के सहयोग से सत्ता के जादुई अंक के करीब पहुंची कांग्रेस के लिए मंत्री पद बंटवारा यूं तो बड़ी समस्या नहीं लेकिन द्रमुक और तृणमूल के पसंदीदा मंत्रालयों की लिस्ट को लेकर थोड़ी अड़चन है। सूत्र बताते हैं कि तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने गृह, रेल और ग्रामीण विकास जैसे तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग की है जबकि कांग्रेस गृह मंत्रालय किसी सहयोगी दल को देना नहीं चाहती। ग्रामीण विकास भी कांग्रेस की प्राथमिकता में है। हालांकि उन्हें तीन कैबिनेट और पांच राज्य मंत्री पद देने पर लगभग सहमति बन गई है। इधर द्रमुक का दावा चार कैबिनेट और तीन राज्य मंत्री का है और उसकी नजर स्वास्थ्य, सड़क परिवहन व जहाजरानी, दूर संचार जैसे मंत्रालयों पर है। पूर्व मंत्री टी.आर. बालू, ए. राजा, दयानिधि मारन व कनिमोझी द्रमुक से दावेदार हैं। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को कृषि मंत्रालय देने पर तो लगभग सहमति है, लेकिन राकांपा के खाते से उड्डयन मंत्रालय लिया जा सकता है। उधर मुस्लिम लीग के सदस्य ई.अहमद को फिर मंत्री पद मिलना तय है जबकि जद (यू) से बागी होकर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीत कर आए दिग्विजय सिंह अगर पार्टी में शामिल हुए तो उन्हें भी मंत्री पद दिया जा सकता है। पिछली सरकार में दो बार मंत्री रहकर बार-बार इस्तीफा देने को मजबूर और झारखंड में दो दफा मुख्यमंत्री बनने के बावजूद कुछ ही समय में हटे शिबू सोरेन को शायद इस बार भी किस्मत का साथ नहीं मिलेगा। सूत्र बताते हैं कि दबाव ज्यादा हुआ तो उनकी पार्टी से जीतकर आए किसी दूसरे सांसद को राज्य मंत्री बनाया जा सकता है।

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