Thursday, May 28, 2009

मंदी में बहुत उम्मीद नहीं रखें-ममता

रेल मंत्री ममता बनर्जी मनमोहन कैबिनेट में शामिल नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद गुरूवार को रेल मंत्रालय पहुंचीं। उन्होंने चिरपरिचित मंत्रालय का जायजा लिया और मीडिया से बातें की। केंद्रीय मंत्री का ओहदा पाने के बाद ममता के व्यक्तित्व में बडा बदलाव नजर आया। वे पहले के मुकाबले ज्यादा शांत और संतुलित दिखीं।रेलवे के कामकाज, घोषणाओं से जुडे सवालों का सुलझे ढंग से जवाब देते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लालू की रेल ने उदारीकरण के दौर में मुनाफा कमाया था किन्तु अब आर्थिक मंदी के दिन हैं। रेलवे के कंधे पर अन्य कई जिम्मेदारियां भी हैं लिहाजा उनसे फिलहाल ज्यादा उम्मीद न रखी जाए।ममता ने जिम्मेदारियों का ब्योरा देते हुए कहा कि रेलवे को सबसे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के कारण केन्द्र सरकार पर पडे बोझ को हल्का करना है। इस मद में 14 हजार करोड रूपए की भारी-भरकम राशि देनी है। इसके अलावा लाभांश अदा करना और रेल बजट पेश करना है। उनके लिए यह मंत्रालय नया नहीं लेकिन लगभग आठ-नौ साल बाद वे यहां दोबारा आई हैं। कोई भी नई घोषणा अथवा फैसला करने से पहले वे रेलवे की प्रशासनिक, वित्तीय स्थिति और बुनियादी ढांचे की जानकारी लेना चाहेंगी। रेलवे के आधुनिकीकरण का श्रेय लेती ममता ने कहा कि उनके कार्यकाल में ही इस दिशा में पहल की गई थी। इस सवाल पर उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव लगभग 90 हजार करोड रूपए की अतिरिक्त आय रेलवे के खाते में छोड गए हैं, फिर उन्हें काहे की चिन्ता! ममता बनर्जी ने कहा कि लालू क्या दे गए हैं और क्या ले गए हैं, बजट आने दीजिए सब कुछ खुद ही सामने आ जाएगा। आर्थिक मंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम परियोजनाओं में विदेशी निवेश की स्थिति क्या है, यह पता करना बेहद जरूरी होगा। मंदी की मार निश्चित तौर पर यहां भी पडी होगी।

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