Saturday, May 23, 2009

युवा नेतृत्व को उभारने की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अनपेक्षित हार के मद्देनजर अब पार्टी में युवा मन को समझने वाले युवा नेतृत्व को उभारने की आवश्यकता पर जोर दिया है। संघ का कहना है कि भाजपा की ऎसी पराजय के बारे में किसी ने सोचा नहीं था और न ही कांग्रेस की इतने अंतर से जीत की किसी को कल्पना थी। पार्टी को इसका जवाब खोजना ही चाहिए कि वह कौन सा माद्दा था जिसने पार्टी को 2 से 182 सांसदों तक पहुंचाया और अब वे कौन से कारण हैं कि पार्टी 138 से 116 पर आ गई।आरएसएस के मुखपत्र साप्ताहिक "पांचजन्य" के ताजा अंक के संपादकीय में चुनाव नतीजों को बेहद चौंकाने वाला बताते हुए भाजपा को अपनी संगठनात्मक कार्यशैली का पुनरीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। संघ ने कहा कि नेतृत्व के साथ कार्यकर्ताओं का नीचे तक संवाद, उनका प्रोत्साहन, नियोजन, पूरे संगठन में नीचे से ऊपर तक अपनत्व भरा समन्वय, संगठनात्मक शक्ति के रूप में भारतीय जनसंघ के समय से ही पार्टी की विशेषता रही है और इसके पुनरावलोकन की आवश्यकता है। संघ ने किसी व्यक्ति विशेष का बिना कोई उल्लेख किए भाजपा के वर्तमान में कारपोरेट और प्रबंधकीय कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि संगठनात्मक कार्यशैली का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए कि कहीं उसकी खामियोंं के कारण अंदर ही अंदर कुछ दरक तो नहीं रहा। संघ का मानना है कि किसी भी दल में ऊपर बैठे लोग कार्यकर्ताओं और सामान्य जन के मन को समझने और उससे जुडने के बजाय प्रबंधकीय कौशल से पार्टी का संचालन करेंगे तो निश्चित ही प्रबंधन का गणित गडबडा जाएगा।

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