Monday, May 25, 2009

तय नहीं हो सके मंत्री व विभाग

यह तय नहीं हो सका कि कहां से कितने मंत्री और किसे क्या विभाग दिया जाएक् प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से मंगलवार को विस्तार की घोषणा तो की गई, लेकिन हालात दिखाई नहीं दे रहे हैं। विस्तार के संबंध में देर शाम तक न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और ना ही राष्ट्रपति भवन के सूत्र विस्तार के बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे। उनका कहना था कि जैसे ही उन्हे आदेश मिलेगा उस हिसाब से तैयारी कर देंगे। सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच दिन भर बैठकें चलती रही। कांग्रेस के सामने द्रमुक के सात मंत्रियों को उनकी पसंद के विभाग सौंपे जाने के साथ दूसरे बडे सहयोगी तृणमूल को भी 5 और विभाग देने हैं। सपं्रग में शामिल घटक दल भी मंत्रालय की उम्मीद लगाए हैं।नेशनल कांफे्रंस तो गठन के समय शामिल न किए जाने से नाराजगी जता चुकाहै। केरल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, एआईएमआईएम समेत अन्य छोटे दल भी मंत्रालय पर नजर लगाए हुए हैं। कुल मिलाकर 15 से 17 मंत्रालय सहयोगियों को देने होंगे। सहयोगियों के चलते गत 22 तारीख को शपथ लेने वाले आधे से ज्यादा मंत्री अभी विभागों की बाट देख रहे हैं। उस दिन प्रधानमंत्री समेत 19 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसके साथ राज्यवार प्रतिनिधित्व देने का भी कांग्रेस पर भारी दबाव है। कांग्रेस अध्यक्ष के राज्य उत्तर प्रदेश से ही आधा दर्जन सांसद कैबिनेट की उम्मीद पाले हुए हैं। राजस्थान से भी तीन से चार मंत्री बनाए जाने हैं। हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड जैसे राज्यों से भी कई दिग्गज उम्मीद लगाए हुए हैं। कांग्रेस तय नही कर पा रही है कि अभी किन राज्यों को महत्व दिया जाए। पिछली सरकार में उत्तराखंड, छत्तीसगढ जैसे छोेटे राज्यों की उपेक्षा की गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष इस बार सभी राज्यों को मौका देने के मूड में है। इसलिए माना जा रहा है कि विस्तार एक दिन के लिए टल भी सकता है या एक और विस्तार बाद में किया जाए।

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