माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त पर भी अपनी पीठ थपथपाई है। पार्टी के पोलित ब्यूरो की सोमवार को हुई बैठक के बाद जारी प्रेस वक्तव्य में पार्टी की हार के कारणों को गिनाते हुए कहा गया कि कांगेस ने जो भारी सफलता हासिल की उसका श्रेय राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा), वन जनजातीय कानून और सामाजिक कल्याण के अन्य कार्यक्रमों को जाता है जिन्हें संप्रग सरकार ने वामपंथी पार्टियों के दबाव में शुरू किया था।पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस को दरअसल अल्पसंख्यकों तथा धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों का अधिक समर्थन मिला जो किसी भी हालत में भाजपा को सत्ता में नहीं देखना चाहते थे। हालांकि पोलित ब्यूरो ने स्वीकार किया है कि पश्चिम बंगाल और केरल में माकपा एवं वामदलों को मिली करारी हार गहरी चिंता का विषय है और पार्टी की राज्य समितियों और केन्द्रीय समिति में हार के कारणों पर आत्मविश्लेषण कर सुधार के कदम उठाए जाएंगे।जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाएंगेपार्टी ने कहा है कि माकपा और वाम पार्टियां जनादेश को स्वीकार करते हुए संसद में जिम्मेदार विपक्ष के रूप में काम करेंगी। नई सरकार से आम जनता से जुडे मुद्दों पर तत्काल काम करने को आग्रह करते हुए कहा गया कि पार्टी जनहितों की रक्षा के लिए चौकस रहेगी और वाम दलों की एकता के लिए काम करती रहेगी। पोलित ब्यूरो ने यह भी कहा कि लोगों ने भाजपा को पूरी तरह नकार दिया है क्योंकि इस पार्टी ने साम्प्रदायिकता से हटकर लोगों को कुछ और नहीं दिया।
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