बिहार में राजग का नेतृत्व कर रहा जद (यू) भाजपा पर धीरे-धीरे दबाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। थोड़ी दूरी भी रख रहा है और थोड़ी नजदीकी भी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के अंत में पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि राजग में समरसता का अभाव रहा है। बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा की जिम्मेदारी सबसे अधिक थी। इस समेत दूसरे कई विषयों को वह राजग की बैठक में उठाएंगे। दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शरद यादव समेत दूसरे वरीय नेताओं की मौजूदगी में दो दिनों तक चली बैठक में राजनीतिक, आर्थिक या अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव में मुद्दे तो पुराने ही थे, लेकिन तेवर कुछ तीखे थे। बिहार में हुई बड़ी जीत का आत्मविश्वास भी भरपूर था, ज्यादा था। शायद यही कारण था कि बैठक खत्म होने के बाद खुद शरद यादव ने भी कहा कि राजग में उस समरसता का अभाव रहा जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के समय दिखा था। उन्होंने सीधे तो भाजपा पर कोई आरोप नहीं लगाया, लेकिन अलग-अलग तरह से यह जरूर कहा कि कुछ मुद्दे हैं जिन्हें राजग की बैठक में सुलझाना पड़ेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने इससे इन्कार किया कि फिलहाल भाजपा से अलग होने पर कोई चर्चा हुई है। इधर, कार्यकारिणी की बैठक के बाद संसदीय दल की बैठक में सबसे वरिष्ठ सांसद राम सुंदर दास को संसदीय दल का नेता चुना गया। बाकी पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए शरद को अधिकृत किया गया है। माना जा रहा है कि राजीव सिंह लल्लन को मुख्य सचेतक बनाया जाएगा। इधर एक सवाल के जवाब में शरद ने कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए पार्टी ने भाजपा के सामने कोई मांग नहीं रखी है।
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