कोलकाता में रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुकी ममता बनर्जी गुरूवार को पूरे लाव-लश्कर के साथ रेल भवन पहुंचेंगी। वे मनमोहन की कैबिनेट में तृणमूल कोटे से शामिल किए गए छह राज्य मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद उन्हें साथ लेकर पहले रेल भवन आएंगी। कार्यभार संभालने के साथ ही उन्होंने गरीबों के लिए सस्ते पास की घोषणा कर यह जता दिया है कि उनके जमाने में भी रेल सामाजिक दायित्व का भार ढोती रहेगी।उनके आने की खबर से मंत्रालय में गहमागहमी तेज हो गई है। वर्षो बाद बिहार का दबदबा खत्म हुआ है जिसके कारण माना जा रहा है कि प्रशासनिक स्तर पर भारी बदलाव होगा। ममता के ओएसडी के रूप में गौतम सान्याल जबकि निजी सचिव पद पर बंगाल के एक आईपीएस अधिकारी के नाम की चर्चा है। पहले भी रेल मंत्री रह चुकीं ममता के लिए मंत्रालय नया नहीं है लेकिन, वर्षो बाद इसकी जिम्मेदारी बिहार के अलावा किसी दूसरे राज्य के हिस्से आई है जिसके चलते उन्हें नयापन जरूर लगेगा। रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने बतौर रेल मंत्री बिहार को प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा। निश्चित है कि ममता बंगाल का ख्याल रखेंगी लेकिन उनकी सबसे बडी चुनौती लालू के करिश्माई रेल मंत्री की छवि को टक्कर देने की होगी।लालू ने लगातार रेल किराया न बढाकर रिकार्ड कायम किया। साथ ही करोडों रूपयों का मुनाफा कमाकर भारतीय रेल को विश्वस्तरीय बनाने का दावा भी ठोका। अब देखना यह है कि लालू के कायाकल्प की कहानी में कितना दम था। यह वास्तविकता के करीब हुआ तो ममता के लिए भी जनप्रिय घोषणाएं करते रहना आसान होगा वरना कठोर फैसले लेना मजबूरी हो जाएगी।
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