राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में विफल साबित हुई है। राज्य सरकार के मंत्रियों के दौरे से नहीं राहत पैकेज घोषित करने से पीडितों का भला होगा। तूफान आइला से सर्वाधिक प्रभावित ईश्वरीपुर इलाके के दौरे के बाद संवाददाताओं से बातचीत में रेल मंत्री ममता बनर्जी ने यह बात मंगलवार को कही। तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्रीय बलों की तैनातगी की मांग भी उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री से की थी। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से मुंह छिपा रही है। उसके मंत्री प्रभावित इलाकों में जाने की बजाए सिर्फ दौरे कर रहे हैं। दूरदराज के इलाकों में अब तक पीने का पानी भी नहीं पहुंचा है। तूफान से हुए नुकसान को राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के माथे मढते हुए ममता ने कहा कि सिंचाई विभाग को समय रहते हुए इस तरह की स्थितियों से निपटने की योजना बनानी चाहिए। तृणमूल शासित जिला परिषद की पीठ थपथपाते हुए ममता ने कहा कि राहत कार्यो में परिषद ने युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है। अब तक 37 हजार तिरपाल बांटे जा चुके हैं।50 हजार तिरपालों की और आवश्यकता है। ममता ने बताया कि नामखाना में जिला परिषद की ओर से 32 राहत शिविरों में दस हजार और पाथरप्रतिमा के सौ राहत शिविरों में तीस हजार बेघर लोग शरण लिए हुए हैं। मिड डे मील का तीस हजार क्विंटल चावल तूफान प्रभावितों को दिए जाने पर सहमति बन गई है। 30 हजार फूड पैकेट अब तक बांटे जा चुके हैं। तूफान के कारण अब तक दक्षिण 24 परगना जिले की सात हजार एकड जमीन खराब हो गई है। तूफान प्रभावित संदेशखाली, पाथेरखाली, ईश्वरीपुर, मदनगंज इलाकों में हेलीकाप्टर से राहत सामग्री गिराई जा रही है। राज्य सरकार पर बरसते हुए ममता ने कहा कि तूफान में सबसे ज्यादा प्रभावित पांच ब्लॉकों में राज्य सरकार ने महज दो राहत शिविर स्थापित किए हैं। उन्होंने जिला परिषद से जिले में स्थायी राहत व पुनर्वास केन्द्र के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए। ममता ने कहा कि स्थायी केन्द्र के लिए पार्टी के सांसद अपनी सांसद निधि से राशि देंगे।
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