राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जद (यू) ने राजग की हार का ठीकरा भारतीय जनता पार्टी के सर पर फोड़ते हुए उसके साथ रिश्तों में ''खटास" की बात स्वीकार की है। पर उसने अभी उससे संबंध तोडऩे का फैसला नहीं किया है। जद (यू) ने यह भी माना है कि भाजपा के कारण लोकसभा चुनाव में उसे कुछ स्थानों पर नुकसान भी हुआ है।जद (यू) की आज से शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में इस आशय की टिप्पणी की। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी में राजग की हार के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया गया।तिवारी ने पत्रकारों से कहा, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को जो जनादेश मिला है. वह सकारात्मक नहीं है, बल्कि विपक्ष द्वारा जनता के मुद्दों को नहीं उठाए जाने से उसकी जीत हुई है। भारतीय जनता पार्टी राजग का सबसे बड़ा घटक दल है, इस नाते यह उसकी जिम्मेदारी बनती थी पर वह इसे मुद्दा नहीं बना पायी और चुनाव के ऐन मौके पर ऐसे सवाल उठाए जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई और राजग को नुकसान हुआ।यह पूछे जाने पर कि क्या जद (यू) ऐसे में भाजपा से नाता तोड़ेगी, तिवारी ने कहा कि भाजपा के साथ संबंध तोडऩे को कोई विचार नहीं है। लेकिन भाजपा ने लोकसभा चुनाव में झारखंड और उत्तर प्रदेश में हमें सहयोग नहीं किया। अलबत्ता, उसके कार्यकर्ताओं ने हमारा विरोध किया। झारखंड में तो उसने हमारे विरूद्ध चुनाव प्रचार किया जिससे हम दो सीट हार गए। बिहार में भी कुछ सीटों पर हमारा तजुर्बा अच्छा नहीं रहा और हमें वह समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ उसके रिश्तों में कुछ ''खटास" भी आई है।तिवारी ने यह भी कहा कि जद (यू) के नेता भाजपा से इस संबंध में बात करेंगे। यह पूछे जाने पर कि वह कौन से सवाल थे जिनके कारण चुनाव के ऐन वक्त भ्रम की स्थिति पैदा हुई, तिवारी ने कहा, आप लोग जानते हैं। मीडिया में इसके बारे में काफी कुछ छपा भी है। तिवारी का इशारा वरूण गांधी तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ था।यह पूछे जाने पर कि जिस तरह उड़ीसा में नवीन पटनायक ने भाजपा से नाता तोड़ लिया क्या उसी तह नीतीश कुमार भाजपा से संबंध तोडऩा चाहेंगे, जद (यू) प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में भाजपा के साथ कोई विवाद नहीं है। नवीन पटनायक का उड़ीसा में भाजपा के साथ कोई विवाद रहा होगा।
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