आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी अलग-अलग प्रचार करेंगे। दोनों नेताओं के संयुक्त कार्यक्रम इस बार नहीं बनाए जा रहे हैं। राहुल कांग्रेस अध्यक्ष के मुकाबले अधिक चुनावी दौरे करेंगे। कांग्रेस को लग रहा है कि राहुल के अभियान से युवा पार्टी से अधिक जुडेंगे। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उनमें यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सफल प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर पार्टी उनके कार्यकाल में किए गए फैसलों को प्रमुख मुद्दा बनाएगी। राहुल मंगलवार से चुनाव अभियान की शुरूआत महाराष्ट्र से करने जा रहे हैं।यहां तक कि राहुल गांधी के चुनाव अभियान में परमाणु करार, रोजगार गारंटी, सूचना का अधिकार व भारत निर्माण जैसे कार्यक्रमों को जमकर उजागर किया जाएगा। साथ ही यह जताने की कोशिश की जाएगी कि राजग के मुकाबले संप्रग के शासन में देश का सबसे ज्यादा विकास हुआ। आर्थिक मंदी का जहां दुनिया पर असर हुआ मनमोहन सिंह की नीतियों के चलते देश पर कोई असर नहीं पडा। राहुल गांधी एक प्रकार से विकास को ही अपना प्रमुख मुद्दा बनाएंगे। ऎसे भी संकेत हैं कि राहुल पीलीभीत को छोड बाकी देश के सभी इलाकों में प्रचार पर निकलेंगे। वरूण के खिलाफ वे ही नहीं कांग्रेस भी ज्यादा नहीं बोलेगी। कांग्रेस यह भी बताएगी कि संप्रग में कोई टूट नहीं हुई है। सब एकजुट हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में रणनीति के तहत ही चुनाव लडा जा रहा है। दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की पहली कोशिश अधिक सीटें जीतने की है। हालांकि वह फिलहाल अभी अपने पत्ते खोल किसी को नाराज नहीं करना चाहती है। नाराज न करने वाले दलों में बसपा भी है। बसपा के खिलाफ कांग्रेस सीधे कुछ भी बोलने से बच रही है।
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