Sunday, March 15, 2009

फैसला बदलने के लिए मजबूर

मध्य प्रदेश के लिए भाजपा को "मंत्री-विधायकों को लोकसभा का टिकट नहीं" यह फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पडा। पार्टी को आशंका है कि यदि इस फार्मूले से कई सीटों से हाथ धोना पड सकता है। जानकारों ने बताया कि अंतिम 9 उम्मीदवारों की सूची में मुख्यमंत्री शिवराज और उनके सिपहसालारों की ना-नुकुर के बावजूद 4 मंत्रियों एवं 2 विधायकों को लोकसभा में उतारने का मन बना लिया गया है। राज्य के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीज ने खुद को सुरक्षित करने के लिए हर दरवाजे पर गुहार लगाई है जबकि कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का चुनाव से बचने का हर दांव फिलहाल निष्फल होता नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार इस समय दबाव में है। केन्द्रीय नेतृत्व ने दो टूक कह दिया है कि लोकसभा चुनाव विजेता प्रत्याशियों की संख्या किसी भी कीमत पर कम नहीं होनी चाहिए। इसीलिए टिकट वितरण में केन्द्रीय नेतृत्व कोई दखल नहीं दे रहा जिससे किसी तरह के बहाने का मौका न मिल सके। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को केन्द्रीय चुनाव समिति के पास नौ प्रत्याशियों के नाम थे, लेकिन धार संसदीय क्षेत्र की घोषणा ऎन वक्त पर रोक दी गई। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दी गई सूची में धार से मोहन सिंह केराडे का नाम था, लेकिन अब राज्य की मंत्री रंजना सिंह बघेल का नाम जुड गया है, वहीं बैतूल से विधायक विजय शाह प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव से बचने के लिए खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ला और कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया एडी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। यदि कोई बडा उलटफेर नहीं हुआ तो रीवा से राजेन्द्र का तथा खजुराहो से कुसमरिया का उतारा जाना लगभग तय है। बालाघाट सीट से सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन का नाम है, लेकिन छिंदवाडा सीट पर भाजपा अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाई है। सीधी में भी बदलाव हो गया है। वहां से विधायक केदार शुक्ला को टिकट मिल सकता है।

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