परिसीमन ने राजनीतिक दलों की नींद उडा दी है। परिसीमन के चलते कई लोकसभा क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। कई नए क्षेत्र बनाए गए हैं तो कई समाप्त कर दिए गए हैं। तमिलनाडु में शहरी आबादी तेज गति से बढ रही है। ग्रामीण इलाकों से शहरों में भागने की प्रवृत्ति के चलते शहरी इलाकों में नए सीमांकन का असर भी दिखा है और वहां लोकसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढी है। उधर ग्रामीण इलाकों में कई क्षेत्र समाप्त करने पडे हैं या फिर शहरी क्षेत्र में मर्ज कर दिए गए हैं।परिसीमन के बाद कई लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव हुआ है। कई क्षेत्र जहां समाप्त कर दिए गए हैं तो कई नए उदित हुए हैं। परिसीमन के बाद से राजनीतिक दलों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे इसका गणित किस तरह बिठाएं। मौजूदा सांसद पिछला चुनाव जिस क्षेत्र से जीतकर आए थे, उनके लिए भी इस बार स्थितियां अलग हैं। उन्हें अब अपना क्षेत्र ढूंढना पड रहा है। कई इलाके हटा देने तथा कई नए इलाके जोड देने के चलते चुनाव में खडे होने वाले संभावित उम्मीदवार अब तक अपने क्षेत्र की नाप-जोख करने में ही जुटे हैं। तमिलनाडु में 39 लोकसभा क्षेत्र हैं। परिसीमन के बाद सभी क्षेत्रों को लगभग बराबर करने की कवायद की गई है। इससे पहले कोई लोकसभा क्षेत्र बहुत बडा था (मतदाताओं की संख्या के आधार पर) और कोई बहुत छोटा। परिसीमन के आधार पर एक संतुलन कायम हुआ है। दक्षिण चेन्नई लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2004 के चुनाव के अनुसार प्रदेश में सबसे बडा लोकसभा क्षेत्र था यहां उस समय दो मिलियन से भी अधिक मतदाता थे। अब परिसीमन के बाद यहां मतदाता करीब 10 लाख ही रह गए हैं। तमिलनाडु देश का ऎसा राज्य है जहां शहरी आबादी अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा है। वर्ष 2001 के आंकडों के अनुसाार इसकी कुल आबादी 6.21 करोड में से 2.72 करोड आबादी शहरों में निवास कर रही है। शहरी आबादी अधिक होने के चलते परिसीमन के बाद शहरी इलाकों में लोकसभा क्षेत्र की संख्या जहां बढ गई वहीं ग्रामीण इलाकों में कम हो गई। चेन्नई एवं इसके आसपास के जिले कांचीपुरम तथा तिरूवल्लूर में कई औद्योगिक इकाइयां हैं। इसके चलते यहां आबादी बढी है। परिसीमन के बाद यहां दो नए लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आ गए। इनमें एक नया क्षेत्र तिरूवल्लूर (आरक्षित) बनाया गया। इसमें आवडी, माधावरम, पूंदमल्ली, गुम्मिुडीपुडी, तिरूवल्लूर एवं पुन्नेरी शामिल किए गए हैं जबकि वर्ष 2004 में हुए चुनाव के समय तिरूवल्लूर श्रीपेरम्बुदूर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था।श्री पेरम्बुदूर अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। इस क्षेत्र में ताम्बरम, पल्लावरम, आलंदूर, अम्बत्तूर, मदुरावाइल एवं श्रीपेरूम्बुदूर शामिल किए गए हैं। तिरूपुर वर्ष 1980 में एक छोटा कस्बा था और कोयम्बत्तूर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। हाल ही तिरूपुर को जिला मुख्यालय का दर्जा दिया गया है। अब यह अलग लोकसभा क्षेत्र हो गया है। इसी प्रकार पुदुकोट्टै जो जिला मुख्यालय भी है, लेकिन यहां कोई लोकसभा क्षेत्र नहीं है।
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