प्रधानमंत्री पद पर राजग के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा पर हमले के साथ चुनावी घोषणापत्र जारी कर कांग्रेस ने जुबानी जंग भी छेड दी। पलटवार करने में भाजपा ने भी देर न की। रैली में भाग लेने मथुरा गए आडवाणी और राजनाथ वहां बरसे तो यहां पूर्व पार्टी अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने मोर्चा संभाला। आडवाणी पर हमले को संप्रग सरकार की पांच साल की नाकामियों और वादाखिलाफी की ओर से जनता का ध्यान बंटाने की कोशिश करार देते हुए वेंकैया ने कहा कि कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत बडा मजाक है। सोनिया गांधी के इशारों पर नाचने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हताशा आज खुलकर सामने आ गई।पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री सिर्फ दिखावटी हैं, सरकार के फैसले मैडम लेती हैं। भले कांग्रेस उन्हें मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में पेश करे किन्तु वह अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री रहे हैं। मनमोहन के हमलों का सिलसिलेवार जवाब देते हुए वेंकैया ने कहा कि बडी अजीब बात है- पूरा देश यह जानना चाह रहा है कि उससे किए वादों का क्या हुआ और प्रधानमंत्री 1992 के बाबरी विध्वंस का रोना लेकर बैठ गए। उन्हें भूख-गरीबी-बेरोजगारी से त्रस्त आम जनता की सुध नहीं। उनकी नाक के नीचे दिल्ली में कर्ज के बोझ से परेशान पूरा परिवार आत्महत्या के लिए मजबूर हो गया। इससे साबित होता है कि संप्रग सरकार जनता का दुख बांटने में विफल रही है।
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