भाजपा में नेता पुत्र और पुत्रियों का भविष्य अच्छा नहीं। लोकसभा अथवा विधानसभा का टिकट चाहिए तो पहले खुद को साबित करना होगा। पार्टी के आम कार्यकर्ता की भांति वर्षो मेहनत करेंगे तब उनके नाम पर विचार किया जाएगा। सिर्फ बडे नेता का बेटा या बेटी होने का कारण पैरवी करने वालों का वैसा ही हश्र होगा जैसा दिल्ली में प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और महाराष्ट्र में पूनम महाजन का हुआ। नेता पुत्र और पुत्रियों को संगठन को मजबूत बनाने वाले पार्टी कार्यकर्ता पर तरजीह देने की सोच के खिलाफ आवाज उठाने वाले भाजपा महासचिव और प्रमुख रणनीतिकार अरूण जेटली हैं।सूत्रों के अनुसार, साहिब सिंह के बेटे प्रवेश वर्मा ने अनुनय-विनय से लेकर धरना प्रदर्शन के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन टिकट नहीं ले सके। पार्टी ने पश्चिमी दिल्ली सीट से साहिब के उत्साही बेटे के बजाए अनुभवी जगदीश मुखी पर भरोसा करना पसंद किया। इसके बाद महाराष्ट्र में उत्तर-पूर्वी मुंबई सीट पर प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को लेकर खींचतान शुरू हो गई। पूनम के लिए दबाव बनाने का काम महासचिव गोपीनाथ मुंडे कर रहे थे जो रिश्ते में उनके फूफा लगते हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष नितिन गडकरी पार्टी सांसद किरीट सोमैया के पीछे खडे थे। मुंडे ने महाजन के योगदान की दुहाई देकर जबर्दस्त माहौल बनाया, लेकिन चल न सकी। फैसला सोमैया के पक्ष में हुआ और वे पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिए गए। महाराष्ट्र में सीधा दखल न होने के बावजूद सूत्रों ने बताया कि जेटली ने इस निर्णय में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी से जुडे व अन्य क्षेत्रों के तमाम लोगों से मुंबई बात कर किरीट और पूनम के बीच तुलनात्मक छानबीन की।अधिकांश ने पूनम को यह कहकर खारिज कर दिया कि लंबे समय से किरीट पार्टी के लिए जी-जान से लगे हुए हैं लिहाजा दोनों का कोई जोड ही नहीं है। इसके बाद जेटली ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी के सामने लोगों की यह राय रखी, नतीजा सबके सामने है। अब, तीसरा मामला राजस्थान से आ रहा है। राज्य की जयपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे गिरधारी लाल भार्गव के निधन के बाद उनके बेटे मनोज आगे आए हैं। नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर आदि के सामने अर्जी लगाने के बाद वे बुधवार को जेटली के पास दिल्ली आए।
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