Friday, March 20, 2009

संगमा संप्रग सरकार के फैसले के खिलाफ

मेघालय में राष्ट्रपति शासन लगाने का मुद्दा तूल पकडता जा रहा है। मेघालय प्रगतिशील गठबंधन (एमपीए) के मुखिया पी.ए. संगमा ने संप्रग सरकार के इस फैसले के खिलाफ समर्थन जुटाने की कवायद के तहत शुक्रवार को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और माकपा कामरेड प्रकाश कारत से मुलाकात की। आडवाणी ने लोकतंत्र का मान रखने की इस लडाई में संगमा को समर्थन देते हुए कहा कि भाजपा की पूर्वोत्तर इकाई उनके कंधे से कंधा मिलाकर सडक पर उतरेगी। बाद में पार्टी प्रवक्ता ने मांग उठाई कि संप्रग सरकार असंवैधानिक तरीके से लगाए गए राष्ट्रपति शासन को तुरंत वापस ले।साथ ही उडीसा में नवीन पटनायक की बीजद सरकार को बचाने की कोशिशों से बाज आए। कांग्रेस पर उडीसा में बीजद की बी टीम के रूप में काम करने का आरोप मढती भाजपा ने कहा कि विश्वासमत के दौरान लोकतंत्र का मजाक उडाते पूरी दुनिया ने देखा। बावजूद इसके उडीसा में राष्ट्रपति शासन लगाने को केंद्र तैयार नहीं। इसके उलट मेघालय में संवैधानिक तरीके से जीती सरकार को बेदखल कर दिया गया। उसकी मांग है कि उडीसा में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और मेघालय से हटाया जाए।इससे पूर्व, संगमा पहले आडवाणी के आवास पर पहुंचे। वहां से समर्थन लेकर माकपा मुख्यालय एकेजी भवन पहुंचे जहां प्रकाश कारत से लगभग बीस मिनट चर्चा हुई। इसके बाद उन्होंने बताया कि एमपीए के अन्य नेता भी दिल्ली आ गए हैं। वे लोग राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल समेत तमाम गैर कांग्रेसी दलों के नेताओं से मिलेंगे ताकि राष्ट्रपति शासन के खिलाफ भरपूर समर्थन जुटा सकें। इसे अप्रत्याशित और गैर जरूरी कदम बताते हुए राकांपा नेता संगमा ने कहा कि आवश्यकता हुई तो संप्रग के इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी जाएगी। उन्होंने बताया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी राष्ट्रपति शासन का विरोध किया है।

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