महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व और उत्थान की वकालत करने वाले राजनीतिक दलों की बातों में कितना दम है, इसकी एक बानगी बिहार में देखी जा सकती है। इस बार सभी दलों ने टिकट देने के मामले में महिलाओं की अनदेखी की है। अब तक 40 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में महज 13 महिलाएं ही किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं।राज्य में सत्ताधारी जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) ने दो महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है तो उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मात्र एक महिला को ही टिकट दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तथा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने दो-दो महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) महिलाओं की टिकट देने के मामले थोडी बीस साबित हुई हैं। दोनों पार्टियों ने तीन-तीन महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने बिहार में 37 संसदीय सीटों से चुनाव लडने का ऎलान किया है, जिसमें सासाराम, नवादा तथा जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से महिलाओं को टिकट दिया गया है। राजद ने बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को सीवान से और काराकाट से कांति सिंह को टिकट दिया है। लोजपा ने वीणा सिंह को नवादा से तथा रंजीता रंजन को सुपौल से चुनावी मैदान में उतारकर महिलाओं की उपेक्षा करने के आरोप से बचने का प्रयास किया है। राजद के प्रवक्ता श्याम रजक का कहना है कि महिलाओं को राजद उचित प्रतिनिधित्व देने की पक्षधर है और उनकी पार्टी ने अभी सभी 28 सीटों के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। जद-यू ने दो महिलाओं अश्वमेध देवी (उजियारपुर) तथा मीना सिंह (आरा) को अपना प्रत्याशी बनाया है। जद-यू के प्रवक्ता विजय चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने महिलाओं को हर समय आगे बढाने का काम किया है। प्रत्याशी के चयन को इससे जोडकर नहीं देखना चाहिए। भाजपा ने महिला प्रत्याशी के रूप में मात्र शिवहर से रमा देवी को चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा ने आरा, औरंगाबाद तथा गया से क्रमश: रीता सिंह, अर्चना चंद्र तथा कलावती देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उल्लेखनीय है कि राजद 28, लोजपा 12, भाजपा 15, जद-यू 25, कांग्रेस 37 तथा बसपा ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लडने का ऎलान किया है। इसमें कांग्रेस और राजद ने अभी सभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है।
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