भाजपा के मुख्य चुनाव प्रबंधक अरूण जेटली पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। सोमवार को हर कोई इस बात की टोह ले रहा था कि सुधांशु मित्तल की नियुक्ति से नाराज चल रहे जेटली मंगलवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में शामिल होंगे या नहीं। इस बीच वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के अंदर किसी भी तरह के मतभेद से इनकार करते हुए बवाल थामने की कोशिश की और, संगठन महासचिव रामलाल ने दावा किया कि जेटली आएंगे परंतु, सूत्रों की मानें तो मामला अभी सुलझा नहीं है। यद्यपि प्रयास जारी हैं। ऎसा फार्मूला ढूंढा जा रहा है जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे यानी मित्तल खुद ही पूर्वोत्तर के सह प्रभारी का पद ठुकरा दें लेकिन यह भी आसान नहीं। लोकसभा चुनाव में उतरने को तैयार खडी पार्टी को राजनाथ और जेटली के घमासान ने भारी दुविधा में डाल दिया है। चुनावी नतीजों पर इसके नकारात्मक असर की खबरों ने आडवाणी के घर वालों खासकर उनकी पत्नी कमला आडवाणी को भी चिंतित कर दिया है। उन्होंने अफसोस के साथ टिप्पणी की कि इससे सर्वाधिक नुकसान आडवाणी को होगा जिन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर उनकेनेतृत्व में पार्टी चुनाव लडने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, शुरूआत में आडवाणी ने बीच में पडना मुनासिब नहीं समझा किंतु कैडर तक गए गलत संदेश ने उन्हें मध्यस्थता के लिए बाध्य कर दिया। उन्होंने पहले वेंकैया को मित्तल से बातचीत के लिए अधिकृत किया फिर संगठन महासचिव को बुलाकर कहा कि सभी पक्षों से चर्चा कर विवाद सुलझाएं। इसके बाद रामलाल ने सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी से चर्चा की और सोमवार को वे मित्तल से मिले। सूत्रों ने बताया कि मित्तल ने इस्तीफे का मामला राजनाथ पर छोड दिया है जो कि कतई राजी नहीं लग रहे। संघ के हस्तक्षेप के बाद राजनाथ और जेटली की भी फोन पर बातचीत हुई। जेटली ने फिर मित्तल को हटाने पर जोर दिया लेकिन राजनाथ तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि इस पर चुनाव बाद विचार हो सकता है। कई अन्य फैसलों पर दोनों में तीखी बातचीत हुई जिसके बाद राजनाथ ने जेटली से कहा कि वे वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी के हित में मंगलवार की बैठक में उन्हें आना चाहिए परंतु कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
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