वरूण गांधी पर भाजपा गहरी दुविधा में फंस गई है। वरूण आधिकारिक प्रत्याशी हैं इसलिए उनके दुख-सुख में साथ देना नैतिक दायित्व। रासुका लगाए जाने के बाद पार्टी उनके पीछे मजबूती से खडी भी हो गई है लेकिन, वह वरूण नीति के राष्ट्रव्यापी अमल के पक्ष में फिलहाल नहीं है। चुनाव प्रबंधन संभाल रही टीम का मानना है कि वरूण का मामला जितनी जल्दी ठंडा होगा, भाजपा के लिए स्थिति उतनी आसान होगी। कारण यह कि इस बार के आम चुनाव विपक्षी पार्टी कांग्रेस विरोधी लहर, संप्रग में बिखराव, मनमोहन सरकार की नाकामियों, कमजोर प्रधानमंत्री के मुकाबले निर्णायक सरकार देने में सक्षम आडवाणी सरीखे मजबूत नेता को आगे करके लडने जा रही है। वरूण नीति इसमें कहीं फिट नहीं बैठ रही।उसे यह भी आशंका है कि वरूण गांधी का मामला जितने दिन गरमाया रहेगा उतने दिनों तक राजग में मतभेद की खबरें भी तूल पकडेंगी। जद (यू) जैसे धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले राजग के घटक निश्चित तौर पर आक्रामक हिंदुत्व की बात करने वाले वरूण का विरोध करेंगे जबकि भाजपा को अपने प्रत्याशी का साथ देना पडेगा। परस्पर विरोधाभासी बयान छपेंगे या प्रसारित होंगे तो प्रतिस्पर्धी इसे राजग में बिखराव बताकर राजनीतिक फायदा उठाने की भरपूर कोशिश करेंगे। एकजुट रहकर अच्छे नतीजे लाने की उम्मीद कमजोर पड सकती है लिहाजा बेहतर होगा कि वरूण को जल्द छोड दिया जाए ताकि मतदान शुरू होने तक हालात सामान्य हो सकें।लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह का वरूण को समर्थन के साथ अन्य प्रत्याशियों से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और भाषण में संयम बरतने की अपील इसी सोच का हिस्सा बताई गई।इसके उलट, उत्तर प्रदेश के लिए पार्टी के चुनाव प्रभारी कलराज मिश्र ने पत्रिका से कहा कि वरूण गांधी सिर्फ पीलीभीत के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए मुद्दा बन चुके हैं। वरूण को फंसाया गया है। उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। दरअसल पीलीभीत में गो हत्या, बलात्कार जैसे मामले बहुत बढ गए थे। ऎसी ही एक घटना के बाद वरूण वहां गए और अत्याचारियों के खिलाफ पीडितों का साथ देने की बात कही। कई माह पहले की इस घटना को ही रिकार्ड करके सीडी बनाई गई। इसे आठ मार्च की चुनावी सभा में दिया गया भाषण बताया जा रहा है जबकि यह महीनों पुरानी बात है। सीडी को वरूण बार-बार झुठला चुके हैं लेकिन चुनाव आयोग मानने को राजी नहीं। आयोग से उनकी अपील है कि निष्पक्ष रवैया अपनाए। जो कुछ भी हुआ वह शासन के दबाव में किया गया। मायावती मुस्लिम वोटबैंक अपने पक्ष में करना चाहती हैं जबकि कांग्रेस को गांधी परिवार के किसी और सदस्य का आगे बढना रास नहीं आ रहा। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री से लेकर राहुल-प्रियंका व तमाम दिग्गजों ने वरूण के खिलाफ टिप्पणियां कीं। क्या रासुका में बंद रहकर भी वरूण चुनाव लड सकते हैंक् कलराज ने हां कहते हुए बताया कि रासुका के तहत बस नजरबंद किया जाता है। वे आरोपी नहीं हैं इसलिए चुनाव लडेंगे। पार्टी उनका हर कदम पर साथ देगी। वे खुद प्रयास करेंगे कि आडवाणी और राजनाथ वरूण के क्षेत्र में प्रचार करें।
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