भाजश नेता उमा भारती गुरूवार को फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मिली। वह भले ही भाजपा में आने से इनकार कर रही हैं लेकिन इस सारी कवायद को उसी से जोडकर देखा जा रहा है। भाजपा का एक खेमा उमा की वापसी का इच्छुक है परन्तु पार्टी के भीतर उन्हें नहीं लेने के दबाव को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व इस मामले को ठंडा करके निपटाने का रास्ता अपना सकता है।आडवाणी से भेंट के बाद उमा ने फिर दोहराया कि वह सिर्फ एक लक्ष्य लेकर चल रही है। आडवाणी को प्रधानमंत्री बनवाने को उन्होंने राष्ट्र धर्म की संज्ञा दी। उमा ने आडवाणी के साथ अपनी मुलाकात को बेटी की घर वापसी बताते हुए कहा- आडवाणी हमेशा से मेरे लिए पिता तुल्य रहे हैं। एक समय आडवाणी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए भाजपा छोडकर भाजश बनाने वाली उमा का कहना है कि मैंने उनका समर्थन करके भाजपा या आडवाणी पर कोई अहसान नहीं किया है। मैं नहीं चाहती हूं कि वे मेरे इस समर्थन को अहसान के तौर पर देखें।मैंने तो बस राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है। यह मेरा राष्ट्र धर्म है। उन्होंने कहा कि भाजश की नेता होने के बावजूद आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने के प्रयासों में मैं अपनी भरपूर क्षमता के साथ भाजपा का अघिकतम सहयोग करूंगी। भाजपा और आडवाणी का खुला समर्थन करने के बावजूद उमा ने भाजपा में वापसी को लेकर लगाई जा रही अटकलों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में इन दोनों का समर्थन करने के बावजूद भाजश का अस्तित्व बरकरार है।उन्होंने कहा कि अब बहुत से परिवर्तन होंगे लेकिन मैं अपने वचन से पीछे नहीं हटूंगी। पीलीभीत से भाजपा उम्मीदवार वरूण गांधी के कथित मुस्लिम विरोधी भाषणों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वह युवा और बढिया नेता हैं और उन्हें शब्दों के चयन में सतर्कता बरतनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment