तीसरे मोर्चा का आकार रविवार को बसपा प्रमुख मायावती के यहां तय हो सकता है। चुनावी रणनीति, गठजोड के कायदे-कानून के साथ सबसे अहम फैसला नेतृत्व का होगा। वैसे वाम की तरफ से प्राजेंटेशन का प्रारूप ऎसा बनाया गया है कि उससे प्रधानमंत्री पद की लालसा रखने वालों में झगडे की बजाए प्रतिस्पर्धा पैदा हो जाए। इसके लिए वामपंथी सबसे बडे दल को प्रधानमंत्री चयन के अधिकार का फार्मूला रखने की तैयारी में है। तुमकुर में तीसरे मोर्चे के उदय के बाद रविवार को पहली बार तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाले दल एक साथ बैठ रहे हैं। बैठक इस मायने भी महत्वपूर्ण है कि इसका आयोजन खुद मायावती ने किया है। उनके घर पर हो रही बैठक में तीसरे मोर्चा के सभी नेता आ रहे हैं। अन्नाद्रमुक की नेता जयललिता को लेकर ऊहापोह है। सूत्रों ने बताया कि रविवार की बैठक में तीसरे मोर्चे का प्रारूप गढा जाएगा। सीटों पर तालमेल के साथ, साझा चुनाव अभियान की योजना को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। परन्तु बैठक में विवाद की संभावना भी दिखाई दे रही है। तीसरे मोर्चे की रैली के तत्काल बाद बसपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए जिस तरह का दबाव बनाया गया है उससे सहयोगी सकते में आ गए हैं। सूत्रों ने बताया कि बसपा के इस कदम से तीसरे मोर्चे में दरार की संभावना को देखते हुए बर्धन डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। उन्होंने मायावती के फोन पर बात कर मामले को सुलझाने की कोशिश की है। उधर, चन्द्रबाबू नायडू और देवगौडा बाकी दलों के सम्पर्क में बताए जाते हैं। प्रधानमंत्री पद को लेकर कायम विवाद को खत्म करने के लिए लेफ्ट ने एक फार्मूला तैयार किया है। भाकपा सचिव शमीम फैजी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि तीसरे मोर्चे का प्रधानमंत्री तय करने का अधिकार उस दल के पास होगा जो सबसे बडा होगा। यानी प्रधानमंत्री पर दावेदारी जताने वालों के बीच लेफ्ट ने एक तरह से स्पर्धा पैदा करने की रणनीति अपना रहा है। फैजी ने बताया कि बैठक में सीटों पर तालमेल, चुनाव अभियान की रणनीति भी बनाई जाएगी। रविवार को सामने आने तीसरे मोर्चे की शक्ल पर संप्रग-राजग के साथ उन दलों की नजरें भी टिकी हुई हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली तस्वीर पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
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