Tuesday, March 31, 2009

वरूण नहीं तो मेनका लडेंगी

रासुका में बंद वरूण गांधी के बारे में भाजपा तमाम विकल्पों पर विचार कर रही है। रासुका लगाने के निर्णय की कडी आलोचना करते हुए पार्टी का आरोप है कि वरूण के मुद्दे पर बसपा-सपा और कांग्रेस एक हैं। सपा अध्यक्ष ने मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह मायावती के हाथ में न खिसक जाए सिर्फ इस डर से रासुका का विरोध किया है। वरूण पर पार्टी रणनीति का खुलासा करते सूत्रों ने कहा कि सलाहकार बोर्ड से लेकर अदालत तक से राहत लेने की कोशिश होगी। रासुका में नजरबंद वरूण को चुनाव लडने से रोका नहीं जा सकता क्योंकि वे आरोपी नहीं हैं लेकिन किन्हीं कारणों से ऎसे हालात आए तो उनकी मां और आवंला से पार्टी प्रत्याशी मेनका गांधी को दो सीटों यानी वरूण की पीलीभीत सीट से भी चुनाव लडाया जा सकता है।इससे पूर्व पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी अरूण जेटली ने आरोपी संजय दत्त को चुनाव लडने की अनुमति न देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए वरूण पर रासुका लगाए जाने को सत्ता का दुरूपयोग करार दिया। जेटली के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संजय दत्त को सजा के निर्णय पर रोक नहीं लगाई जा सकती।इस फैसले के बाद कानून की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि सजा के बाद कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड सकता। निश्चित तौर पर चुनाव प्रक्रिया में अब आम जनता का विश्वास बढेगा। यदि इस मुकदमे में छूट दी जाती तो गंभीर आपराधिक मामले वाले तमाम लोग जो राहत के लिए हाइकोर्ट पहुंचे हैं, इसका उदाहरण देकर न्यायपालिका से खुद के लिए भी अनुमति मांगते। संजय दत्त के लिए दरवाजा खुलने का परिणाम लोकतांत्रिक परम्परा पर से भरोसा उठने के रूप में सामने आता। संजय दत्त के मुकाबले से हटने के बाद लखनऊ से भाजपा प्रत्याशी लालजी टंडन को चुनावी फायदा होगाक् इस पर जवाब मिला कि टंडन नुकसान में कब थे। वरूण गांधी के बाबत उठे सवाल पर जेटली ने कहा कि किसी भी हाल में यह रासुका का मामला नहीं था। राजनीतिक विरोधी के खिलाफ सत्ता के अधिकतम दुरूपयोग का इससे बडा उदाहरण दूसरा कोई न होगा। आश्चर्य की बात है कि कसाब से लेकर तमाम अपराधियों पर रासुका नहीं लगाया गया लेकिन कथित तौर पर भडकाऊ भाषण देने के लिए वरूण को नजरबंद कर दिया गया।

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