राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंककर उसके माथे पर शिकस्त की रेखा खींचने में अहम भूमिका निभाने वाले किरोडीलाल मीणा एक बार फिर पुराने घर का दरवाजा खटखटा रहे हैं। हालांकि उनकी पत्नी और विधायक गोलमा देवी गहलोत सरकार में मंत्री पद पर आसीन हैं लेकिन मनचाही लोकसभा सीटों की मांग कर रहे किरोडी को अब तक कांग्रेस से कोरा आश्वासन ही मिला है। इधर, पुरानी गलती से सबक लेते हुए भाजपा उन्हें कुछ ज्यादा महत्व देने का मन बना रही है। यह खबर सूंघते ही किरोडी भी सक्रिय हो गए। सूत्रों के अनुसार पिछले दस-पन्द्रह दिन में उन्होंने दो-चार बडे भाजपा नेताओं से मुलाकात भी की जिनमें महासचिव अरूण जेटली भी शामिल हैं।जेटली का बेशक राजस्थान से सीधा कोई संबंध न हो लेकिन भाजपा के मुख्य चुनाव प्रबंधक होने के नाते टीम आडवाणी के लिए जीत की रणनीति बनाना उन्हीं के जिम्मे है। किरोडी की जेटली से पहली मुलाकात 13 मार्च को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के रोज बताई गई जिस दिन जेटली ने पहली बार बहिष्कार किया था। सूत्रों ने बताया कि पार्टी महासचिव बैठक में नहीं गए थे किंतु अन्य जिम्मेदारियां बाखूबी निबटाई। इसी बीच किरोडी ने उनसे भेंट की। इसके बाद भी उनके बीच दो-तीन बार बातचीत की खबर है। हार-जीत में निर्णायक मीणा वोटबैंक पर मजबूत पकड रखने वाले किरोडी की आडवाणी-राजनाथ से मुलाकात की पुष्टि तो नहीं हुई लेकिन सूत्रों ने ऎसा दावा किया कि पुराने साथी को लेकर कुछ खिचडी जरूर पक रही है। इस सवाल पर कि किरोडी तो पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे व प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर को हराने की कसम खाए बैठे हैं। वसुंधरा के अडने के कारण ही उन्हें अपेक्षित विधानसभा सीटें नहीं दी गई थीं जिसके बाद जो कुछ भी हुआ वह इतिहास बन चुका है। भला ऎसे में खुद किरोडी या फिर वसुंधरा एक साथ मैदान में कैसे उतरेंगे! वह भी तब जब गोलमा गहलोत के पीछे खडी हैं! इनका समाधान एक वाक्य से करते हुए सूत्रों ने कहा कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। फिर जब मामला आम चुनावों में पार्टी की हार-जीत से जुडा हो तो समझौता किसी भी स्तर तक हो सकता है। इस नाटकीय घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भाजपा ने अभी तक दस लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं किए हैं जिनमें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, सवाई माधोपुर, दौसा व अजमेर जैसी सीटें भी शामिल हैं जिन पर किरोडी हक जता रहे हैं। कांग्रेस नेताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने इनके अलावा करौली धौलपुर, भीलवाडा, अलवर, झालावाड-बारां व कोटा पर भी दावा किया था। चूंकि इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी उतार चुकी है इसलिए बच गई सीटों में से कुछ पर सुनिश्चित जीत के लिए उनसे बात हो सकती है। भाजपा की प्रत्याशी सूची एकाध दिन में जारी होने की संभावना है।
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