Friday, November 13, 2009

क्या बीजेपी की कलह मिटा पाएंगे गडकरी?

अगले बीजेपी प्रमुख के तौर पर पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नितिन गडकरी के नाम की चर्चा ने कुछ नए सवाल पैदा कर दिए हैं। कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाने और विभिन्न गुटों को एक करने की उनकी क्षमता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। ये सवाल इसलिए भी हैं कि जब लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह जैसे राष्ट्रीय स्तर के ऊंचे कद के नेता अंतर्कलह के कैंसर का इलाज नहीं कर पाए तो गडकरी जैसे प्रदेश स्तर के नेता पार्टी की गुटबाजी को नेस्तनाबूद करने में कहां तक सफल हो पाएंगे! मोहन भागवत द्वारा आरएसएस की कमान संभालने के बाद से ही तस्वीर कुछ साफ होने लगी थी। इस नियुक्ति के बाद से संघ ने आडवाणी के बाद पार्टी में शक्तिशाली माने जाने वाले चारों नेताओं - अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार में से किसी को भी बीजेपी की कमान सौंपने की संभावना को नकार दिया था। इससे संकेत मिले थे कि इस साल के अंत में राजनाथ का अध्यक्ष पद से कार्यकाल खत्म होने पर प्रदेश में से किसी की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी की जा सकती है।
इसके लिए बीजेपी शासित प्रदेशों - गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के नाम चर्चा में आए पर बीजेपी अपने मुख्यमंत्रियों में से किसी को बदलकर उसके विकल्प के लिए विवाद का नया पिटारा नहीं खोलना चाहती थी। इसके बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम बीच-बीच में चर्चा में आता रहा, पर बिहार में जेडीयू के साथ सरकार चला रही बीजेपी नीतीश कुमार की मुसलमानों के प्रति सोच को लेकर चाहते हुए भी उस चर्चा को आगे नहीं बढ़ा पाई। ऐसे में इस पद के लिए गडकरी का नाम चर्चा में आ गया। गडकरी को इस बारे में संकेत भी दे दिए गए हैं। वैसे भी नागपुर कनेक्शन के कारण गडकरी संघ प्रमुख के नजदीकी माने जाते हैं। वह शिवसेना-बीजेपी के शासन में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे हैं और तब मुंबई और नागपुर में हुए विकास के कारण उनका नाम प्रकाश में आया था। सूत्रों का मानना है कि गडकरी का खुद को दिल्ली से दूर रखना ही उनके पक्ष को मजबूत करता है। राजनाथ के उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी संभालने पर यदि वह सूझबूझ से चले तो गुटबाजी की बीमारी को दूर करना उनके लिए संभव हो सकता है। वैसे भी 'गडकरी' का अर्थ 'दुर्ग की रक्षा करने वाला' होता है। हो सकता है कि गडकरी अपने नाम को सार्थक कर सकें। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गहलोत अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारी हैं। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार 35 प्रदेश इकाइयों में से कम से कम 20 में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने पर चुनाव अधिकारी चुनाव कार्यक्रम घोषित करेंगे। अभी कई राज्यों में तो चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है पर जावड़ेकर का कहना है कि राज्य इकाइयों की चुनाव प्रक्रिया जल्दी ही गति पकड़ेगी। उम्मीद की जा रही है कि 15 दिसंबर से प्रदेश स्तर पर राज्यों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उसी के बाद ही गहलोत राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव कार्यक्रम घोषित करेंगे।

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