Sunday, November 1, 2009

बजरंगी अगले विधानसभा चुनाव में

मलाड में दिल्ली पुलिस के हाथों मुन्ना बजरंगी की सकुशल गिरफ्तारी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बजरंगी का आका माना जाता है। डॉन के सेफ अरेस्ट से लगता है अंसारी ने दिल्ली-मुंबई में पकड़ मजबूत कर ली है और अपराध की दुनिया में उसका रसूख भी बढ़ा है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी बजरंगी को अगले विधानसभा चुनाव में उतारने की भी योजना है। मां की तमन्ना है : बजरंगी के जौनपुर स्थित आलीशान मकान में रौनक है। उसकी बुजुर्ग मां लीलावती इस बात से खुश हैं कि बेटे को मुंबई-दिल्ली पुलिस ने सकुशल गिरफ्तार कर उसे नया जीवन दिया। उनका कहना है कि अगर यूपी पुलिस के हत्थे चढ़ता तो पता नहीं, जिंदा होता या नहीं। बड़ा से बड़ा वकील करके मैं उसे बरी करवाने की कोशिश करूंगी। मेरी तमन्ना है कि लाड़ला एलएलए-एमपी और मिनिस्टर बने। उसकी पहले से राजनीति में आने की इच्छा रही है। वह जौनपुर अथवा आसपास के जिलों में जहां से चाहेगा, जीतकर दिखा सकता है। उसके दोस्त हर राजनीतिक पार्टी में हैं और सभी उसे चाहते हैं। मुन्ना ने पांचवीं के बाद अपराधियों की पाठशाला को जॉइन कर लिया था। पूर्व नियोजित गिरफ्तारी? सवाल उठता है कि क्या मुंबई-दिल्ली पुलिस द्वारा मुन्ना की सुरक्षित गिरफ्तारी पूर्व-नियोजित तो नहीं थी? प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के बारे में पुलिस रेकॉर्ड बताता है कि 16 लोगों की अत्याधुनिक हथियारों से हत्या करने वाले मुन्ना गिरोह का जाल एनसीआर से लेकर महाराष्ट्र तक फैला है। उसे मुंबई में जौनपुर कनेक्शन का फायदा मिला है। विभिन्न पार्टियों के सीनियर नेता मुन्ना के संपर्क में हैं, जिन पर पुलिस की नजर है। इन नेताओं में जौनपुर के मुंबई स्थित बड़े कांग्रेसी नेता और लखनऊ में कांग्रेस से एमएलसी रह चुके जौनपुर के बिल्डर भी हैं। राय मर्डर से मिली थी कुख्याति बजरंगी ने सबसे पहले एके-47 का इस्तेमाल बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह के गनर के मर्डर में किया था। जौनपुर के जमालपुर ब्लॉक प्रमुख कैलाश नाथ दूबे सहित तीन लोगों की निर्मम हत्या, बीजेपी विधायक रह चुके अजय राय के छोटे भाई सुनील की हत्या, काशी विद्या पीठ के रामप्रकाश पांडेय सहित तीन लोगों के कत्ल में भी आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था। लेकिन 2005 में अंसारी के विरोधी और बीजेपी के बाहुबली विधायक कृष्णानंद राय और उनके आधा दर्जन समर्थकों की नृशंस सामूहिक हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी का नाम चर्चा में आया। इस घटना के बाद बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने वाराणसी में अनशन तक किया था। बीवी को भी नहीं थी भनक मुन्ना बजरंगी दो साल से मुंबई के मलाड स्थित एक फ्लैट में अपनी पत्नी सीमा के साथ रह रहा था। वह शादी के बाद दिल्ली में भी 1998 तक रहा। कहा जाता है कि क्राइम की भनक वह पत्नी सीमा को भी नहीं लगने देता था। दिल्ली में एनकाउंटर के बाद ही सीमा को पता चला कि मुन्ना बड़ा डॉन है। दिल्ली पुलिस के अधिकारी राजवीर सिंह ने जब मुन्ना का एनकाउंटर किया था तो उसके शरीर में नौ गोलियां लगी थीं। इसके बाद ही राजवीर सिंह की हत्या हो गई। कहा तो यह भी जाता है कि मुंबई में उसने डी-गैंग से सीधे रिश्ते जोड़ लिए थे और यूपी पुलिस को आशंका है कि उसने मुंबई में यूपी-बिहार और दिल्ली के कई अपराधियों का अपने मिशन में इस्तेमाल किया।

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