दो दिन से जिस बात की चर्चा जोरों से चल रही थी, उसकी पुष्टि करीब करीब हो ही गई है। हमें मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार देर शाम बीजेपी प्रेजिडंट राजनाथ सिंह के पॉलिटिकल अडवाइजर मुरली धर राव ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। इस मुलाकात में राजनाथ की इस्तीफे की घोषणा का पूरा मास्टरप्लान डिस्कस किया गया। साथ ही यह भी तय गया है कि किस तरह राजनाथ इस्तीफे की घोषणा करेंगे, उस दौरान उनकी भाषा और शैली क्या होगी और उसके बाद राजनाथ की पार्टी में क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वैसे यह भी चर्चा है कि 26 नवंबर 2006 को बीजेपी के प्रेजिडंट बने राजनाथ के लिए शायद यही डेडलाइन की तारीख हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित कार्यकाल से पहले राजनाथ के इस्तीफे की रणनीति इसलिए बनाई गई ताकि संघ की आंखों की किरकिरी बने लाल कृष्ण आडवाणी को मात दी जा सके। राजनाथ के जल्दी इस्तीफे की रणनीति के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं-पहला नितिन गडकरी को जल्दी ही पार्टी की बागडोर देना ताकि उनके नाम पर ज्यादा चर्चा और विश्लेषण न हो सके और दूसरा, आडवाणी के नेता प्रतिपक्ष के इस्तीफे के बाद उस जगह पर राजनाथ को फिट किया जा सके। वैसे इस पद के लिए सुषमा स्वाराज भी दौड़ में बनी हुई है, लेकिन जिस तरह संघ ने प्रेजिडंट के दौड़ में से उन्हें बाहर किया है, उससे यहीं अंदेशा है कि संघ दिल्ली के इन हाईप्रोफाइल नेताओं को अब कोई भी हाइप्रोफाइल पोस्ट नहीं देना चाहता है। भगवा बिग्रेड से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी भी भगवा परिवार नितिन गडकरी के प्रेजिडंट बनने को पूरी तरह पचा नहीं पा रहा है और ऐसे में बीजेपी के चार धुरंधर हर तरह से नितिन गडकरी को मात देना चाहते हैं। इस वक्त अगर नितिन गडकरी को कोई मात दे सकता है तो वह हैं हिंदु ह्दय सम्राट के तौर पर जाने वाले गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी। भगवा बिग्रेड में अहम स्थान रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने इशारों ही इशारों में बताया है कि बीजेपी के चार बड़े धुरंधर आजकल नरेन्द्र मोदी को मनाने में जुटे हुए हैं। यह नेतागण जानते हैं कि मोदी की दमदार शख्सियत के दम पर नितिन गडकरी को आसानी से मात दी जा सकती है। क्योंकि जो गडकरी का सबसे कमजोर पक्ष है, वही मोदी का सबसे मजबूत पक्ष यानी खुद के राज्य में चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन। नितिन गडकरी के कार्यकाल में बीजेपी जहां महाराष्ट्र में लगातार विफलता का घूंट पी रही है, वहीं मोदी का गुजरात बीजेपी की सफलता का एकमात्र उदाहरण है। वैसे सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी के पोस्टर बॉय मोदी जल्द ही दिल्ली आकर सबके चौंका भी सकते हैं। और इसी रणनीति को देखते हुए संघ अब कोई रिस्क लेना नहीं चाहता और जल्दी ही नितिन को बीजेपी की कमान सौंपकर अपने हाथ में रिमोट रखना चाहता है। मंगलवार को संघ प्रमुख के साथ राजनाथ सिंह के राजनैतिक सलाहाकार राव की मुलाकात भी इसी बात का संदेश दे रही है कि बस अब चंद दिनों में ही राजनाथ सिंह नाटकीय अंदाज में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक राजनाथ के इस्तीफे की तिथि भी तय हो गई है, लेकिन किसी को भी इस डेट की भनक तक नहीं लगने दी जा रही है। संघ नहीं चाहता है कि अब वह अपनी किसी भी रणनीति में बीजेपी के हाई प्रोफाइल चेहरों को कोई भी ऐसा मौका दे, कि वे अपना कोई खेल खेल सकें।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित कार्यकाल से पहले राजनाथ के इस्तीफे की रणनीति इसलिए बनाई गई ताकि संघ की आंखों की किरकिरी बने लाल कृष्ण आडवाणी को मात दी जा सके। राजनाथ के जल्दी इस्तीफे की रणनीति के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं-पहला नितिन गडकरी को जल्दी ही पार्टी की बागडोर देना ताकि उनके नाम पर ज्यादा चर्चा और विश्लेषण न हो सके और दूसरा, आडवाणी के नेता प्रतिपक्ष के इस्तीफे के बाद उस जगह पर राजनाथ को फिट किया जा सके। वैसे इस पद के लिए सुषमा स्वाराज भी दौड़ में बनी हुई है, लेकिन जिस तरह संघ ने प्रेजिडंट के दौड़ में से उन्हें बाहर किया है, उससे यहीं अंदेशा है कि संघ दिल्ली के इन हाईप्रोफाइल नेताओं को अब कोई भी हाइप्रोफाइल पोस्ट नहीं देना चाहता है। भगवा बिग्रेड से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी भी भगवा परिवार नितिन गडकरी के प्रेजिडंट बनने को पूरी तरह पचा नहीं पा रहा है और ऐसे में बीजेपी के चार धुरंधर हर तरह से नितिन गडकरी को मात देना चाहते हैं। इस वक्त अगर नितिन गडकरी को कोई मात दे सकता है तो वह हैं हिंदु ह्दय सम्राट के तौर पर जाने वाले गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी। भगवा बिग्रेड में अहम स्थान रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने इशारों ही इशारों में बताया है कि बीजेपी के चार बड़े धुरंधर आजकल नरेन्द्र मोदी को मनाने में जुटे हुए हैं। यह नेतागण जानते हैं कि मोदी की दमदार शख्सियत के दम पर नितिन गडकरी को आसानी से मात दी जा सकती है। क्योंकि जो गडकरी का सबसे कमजोर पक्ष है, वही मोदी का सबसे मजबूत पक्ष यानी खुद के राज्य में चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन। नितिन गडकरी के कार्यकाल में बीजेपी जहां महाराष्ट्र में लगातार विफलता का घूंट पी रही है, वहीं मोदी का गुजरात बीजेपी की सफलता का एकमात्र उदाहरण है। वैसे सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी के पोस्टर बॉय मोदी जल्द ही दिल्ली आकर सबके चौंका भी सकते हैं। और इसी रणनीति को देखते हुए संघ अब कोई रिस्क लेना नहीं चाहता और जल्दी ही नितिन को बीजेपी की कमान सौंपकर अपने हाथ में रिमोट रखना चाहता है। मंगलवार को संघ प्रमुख के साथ राजनाथ सिंह के राजनैतिक सलाहाकार राव की मुलाकात भी इसी बात का संदेश दे रही है कि बस अब चंद दिनों में ही राजनाथ सिंह नाटकीय अंदाज में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक राजनाथ के इस्तीफे की तिथि भी तय हो गई है, लेकिन किसी को भी इस डेट की भनक तक नहीं लगने दी जा रही है। संघ नहीं चाहता है कि अब वह अपनी किसी भी रणनीति में बीजेपी के हाई प्रोफाइल चेहरों को कोई भी ऐसा मौका दे, कि वे अपना कोई खेल खेल सकें।
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