झारखंड विधानसभा चुनाव में धन और बाहुबल का जलवा दिखने के आसार हैं। लगभग सभी पार्टियों ने दागी लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है। 16 पर्सेंट उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट जैसे गंभीर आरोप हैं। दोबारा चुनाव लड़ रहे 16 विधायकों की परिसंपत्ति में औसतन 224 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। पहले चरण में 25 नवंबर को झारखंड विधानसभा की 26 सीटों के लिए वोटिंग होनी है, जिसके लिए 302 उम्मीदवार मैदान में हैं। नैशनल इलेक्शन वॉच ने उम्मीदवारों के हलफनामों के आधार पर बताया कि पहले चरण में 108 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। यानी 36 पर्सेंट उम्मीदवार दागी हैं। सभी मुख्य पार्टियों ने तमाम संगठनों की अपील को दरकिनार करते हुए आपराधिक छवि के लोगों को टिकट दिया है। जेएमएम ने ऐसे 19, कांग्रेस ने 11, बीजेपी ने 9, आरजेडी ने 7 और एआईटीसी ने 9 लोगों को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। 2 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति शून्य दिखाई है वहीं 27 उम्मीदवारों के पास करोड़ों की संपत्ति है। पहले चरण में सबसे अमीर उम्मीदवार कांग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़ रहे सुरेश सिंह है। इनके पास 9.42 करोड़ रुपये की संपत्ति है। राजनीति में धनबल की घुसपैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोबारा चुनाव लड़ रहे विधायकों की संपत्ति 5 साल में जबर्दस्त रूप से बढ़ी है। 16 विधायकों की परिसंपत्ति में औसतन 224 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। यूथ फॉर इक्वैलिटी के प्रेजिडेंट डॉ. कौशल कांत मिश्रा कहते हैं कि पांच साल में विधायकों की संपत्ति में हुई बढ़ोतरी की जांच होनी चाहिए कि उनका इनकम सोर्स क्या था। हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि हलफनामे में संपत्ति के जिक्र के साथ सोर्स ऑफ इनकम बताना भी जरूरी होना चाहिए। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के नैशनल को-ऑर्डिनेटर अनिल बेरवाल कहते हैं कि हर पार्टी कई मंचों पर यह स्वीकार कर चुकी है कि आपराधिक छवि के लोगों को टिकट नहीं मिलना चाहिए लेकिन जब वक्त आता है तो दागी लोगों को टिकट देने से कोई पीछे नहीं रहता। वह यह देखकर टिकट देते हैं कि किसके पास कितना पैसा और कितनी मसल पावर है। यह पब्लिक की भावनाओं की नजरअंदाज करना है। लोगों को सावधान करने की हमारी मुहिम जारी है।
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