Monday, November 2, 2009

राज ठाकरे की चेतावनी, सभी विधायक मराठी में लें शपथ

मराठी मानुष के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने नए विधानसभा के सभी विधायकों को चेतावनी दी कि मराठी में शपथ लें या पार्टी के आक्रोश का सामना करने को तैयार रहें। राज ने संवाददाताओं से कहा, कोई अन्य भाषा में शपथ लेता है तो सदन में देखेगा कि मेरे विधायक क्या करते हैं। 288 सदस्यीय विधानसभा में मनसे के 13 विधायक हैं। राज ने कहा, कर्नाटक विधानसभा में मराठी बोलने वाले विधायकों को सदन से निकाल दिया गया क्योंकि वह कन्नड़ में नहीं बोल सकते थे। क्या हमारे विधायक मराठी के प्रति ऐसा ही रुख अपनाएंगे?
समाजवादी पार्टी के विधायक अबु आसिम आजमी की मांग के बाद राज ठाकरे का यह बयान आया है। आजमी ने सदन का एजेंडा हिंदी में चलाने की मांग की थी। उत्तर भारतीय विरोधी अभियान के लिए चर्चित और आजमी की मांग से नाराज राज ठाकरे ने कहा, आजमी सदन का एजेंडा हिंदी में चलाना चाहते हैं तो उन्हें उत्तरप्रदेश जाना चाहिए। बाद में आजमी ने कहा था, मैं मराठी के खिलाफ नहीं हूं। मैं भाषा का सम्मान करता हूं और उसे समझता हूं, लेकिन बोल नहीं सकता क्योंकि मेरी मातृभाषा हिंदी है। फिर भी मैं मराठी सीखने की कोशिश करूंगा।


महाराष्ट्र में कल तक नयी सरकार नहीं बनती तो राष्ट्रपति शासन लागू हो : भाजपा

भाजपा ने आज आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की जनता कमर तोड़ मंहगाई और बिजली की किल्लत से परेशान है लेकिन कांग्रेस और राकांपा आपस में मंत्रालयों के लिए लड़ रहे हैं। उसने यह मांग फिर दोहराई कि कल तक अगर नयी सरकार का गठन नहीं होता तो नियमों के अनुसार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय राज्य की जनता मंहगाई और बिजली संकट से जूझ रही है, कांग्रेस और राकांपा मलाईदार मंत्रालयों के आवंटन को लेकर चल रहे मतभेद के कारण नयी सरकार के गठन में विफल रहे। यह पूछने पर कि गतिरोध जारी रहने की स्थिति में भाजपा क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का दबाव बनाएगी, उन्होंने कहा, नियमों के मुताबिक यदि सरकार का गठन तीन नवंबर तक नहीं होता तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। जावड़ेकर ने कहा कि लोकतांत्रिक नियम स्थापित करने के लिहाज से महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात विरोधाभासी हैं। कांग्रेस और राकांपा ने जनादेश के साथ धोखाधडी की है। उन्होंने लोकतांत्रिक नियमों की अनदेखी की है।

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