महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रमुख बन सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस के समर्थन के चलते गडकरी, बीजेपी अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। गुरुवार को गडकरी राजधानी दिल्ली पहुंचे और पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से मुखातिब भी हुए। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला अभी तक नहीं लिया गया है, लेकिन खुद गडकरी ने इस सवाल का खंडन नहीं किया कि क्या अगले पार्टी अध्यक्ष वहीं होंगे? गडकरी ने बताया कि वह, अभी तक, दिल्ली में ही ठहरे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, 'मैं पार्टी का समर्पित सिपाही हूं और जो भी जिम्मेदारी मुझे दी गई, मैंने उसे निभाया है चाहे वह एबीवीपी में मेरे राजनीतिक करियर की शुरुआत में पोस्टर चिपकाने का काम ही रहा हो...। मैं किसी रेस का हिस्सा नहीं रहा और न ही मैंने किसी रेस में शामिल होने की कोशिश की।'
गडकरी का पार्टी अयह आरएसएध्यक्ष चुना जाना आरएसएस प्रमुख के उस बयान की भी पुष्टि करेगा जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के नेता जैसे सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार पार्टी अध्यक्ष नहीं बनेंगे। पार्टी के जेन-नेक्स्ट नेताओं में किसी नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से ही संघ ने दिल्ली से बाहर के नेता का विकल्प सुझाया। नितिन गडकरी को पार्टी में टॉप जॉब देने की अटकलें सितंबर से ही लग रही हैं। संघ में गडकरी की छवि साफ-सुथरी है और उन्हें विकास उन्मुख नेता के रूप में देखा जाता है। यह छवि तब और मजबूत हुई जब सबूतों के अभाव में समाजसेवी अन्ना हजारे ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस वापस लिया था। गडकरी जो कभी-कभार ही दिल्ली में नजर आते हैं, का कहना था कि वह एक बिजलीघर परियोजना से सिलसिले में राजधानी आए हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की सरकार में गडकरी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे और उन्हें मुंबई और नागपुर में विकास कार्यों के लिए काफी सराहना मिली थी। हालांकि, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गडकरी, राष्ट्रीय स्तर पर चीजों को संभाल पाएंगे? गडकरी बहुत अच्छे वक्ता नहीं माने जाते और उत्तर भारत में उन्हें कोई नहीं जानता। उत्तर प्रदेश राजस्थान में पार्टी की हालत बेहद खराब है और उन्हें इसमें नई जान फूंकनी पड़ेगी। गडकरी के हिंदी ज्ञान के अलावा एक 'जूनियर' नेता को पार्टी के बड़े नेता कितना सहयोग देंगे, यह भी ध्यान देने वाली बात होगी।
गडकरी का पार्टी अयह आरएसएध्यक्ष चुना जाना आरएसएस प्रमुख के उस बयान की भी पुष्टि करेगा जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के नेता जैसे सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार पार्टी अध्यक्ष नहीं बनेंगे। पार्टी के जेन-नेक्स्ट नेताओं में किसी नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से ही संघ ने दिल्ली से बाहर के नेता का विकल्प सुझाया। नितिन गडकरी को पार्टी में टॉप जॉब देने की अटकलें सितंबर से ही लग रही हैं। संघ में गडकरी की छवि साफ-सुथरी है और उन्हें विकास उन्मुख नेता के रूप में देखा जाता है। यह छवि तब और मजबूत हुई जब सबूतों के अभाव में समाजसेवी अन्ना हजारे ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस वापस लिया था। गडकरी जो कभी-कभार ही दिल्ली में नजर आते हैं, का कहना था कि वह एक बिजलीघर परियोजना से सिलसिले में राजधानी आए हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की सरकार में गडकरी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे और उन्हें मुंबई और नागपुर में विकास कार्यों के लिए काफी सराहना मिली थी। हालांकि, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गडकरी, राष्ट्रीय स्तर पर चीजों को संभाल पाएंगे? गडकरी बहुत अच्छे वक्ता नहीं माने जाते और उत्तर भारत में उन्हें कोई नहीं जानता। उत्तर प्रदेश राजस्थान में पार्टी की हालत बेहद खराब है और उन्हें इसमें नई जान फूंकनी पड़ेगी। गडकरी के हिंदी ज्ञान के अलावा एक 'जूनियर' नेता को पार्टी के बड़े नेता कितना सहयोग देंगे, यह भी ध्यान देने वाली बात होगी।
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