पार्टी के क्षत्रप बीजेपी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। इस कड़ी में नया नाम जुड़ गया है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। उन्होंने सतना में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज ठाकरे की तर्ज पर कहा कि यहां लगने वाले कारखानों में बिहार के लोगों को नौकरी ना दी जाए। हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ लिया तो चौहान ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान ही नहीं दिया, जो प्रदेश में रोजगार देने में प्रांतीय आधार पर पैरवी करता हूं। गुरुवार को अपने भाषण के दौरान चौहान स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के नाम पर इतने जोश में आ गए कि बोलते ही गए। हद तो तब हो गई जब वह यह कह गए कि कारखाने सतना में लगें और नौकरी बिहार के लोगों को मिले, ऐसा हम नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने उद्योगपतियों से कह दिया है कि यह नहीं चलेगा। अगर हमारे प्रदेश के लोग ट्रेंड नहीं हैं तो आप उन्हें ट्रेंड कीजिए, पर नौकरी में स्थानीय लोगों को ही दीजिए।'
शुक्रवार को शिवराज ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसी भी राज्य के लोगों के मध्य प्रदेश आने पर रोक लगाने की बात नहीं कही थी। मैने सिर्फ यह कहा था कि कारखानों में स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम दिलवाने की व्यवस्था की जाएगी। इस बीच राजनीतिक हलकों में चौहान के बयान का विरोध शुरू हो गया है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कहा, 'यह बयान देश को तोड़ने वाला है। लगता है कि शिवराज चौहान अपना दिमागी संतुलन खो बैठे हैं।' उन्होंने कहा कि देश के भीतर कोई भी नागरिक कहीं भी नौकरी कर सकता है। लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने चौहान के इस्तीफे की मांग की है। बिहार और झारखंड में बीजेपी की सहयोगी जेडी (यू) के नेता ललन सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इस तरह का बयान कतई नहीं देना चाहिए। हम इस मुद्दे पर बीजेपी के सीनियर नेताओं से बात करेंगे। बीजेपी को चाहिए कि वह शिवराज से जवाब तलब करके मामले को साफ करे। कभी राजस्थान, कभी कर्नाटक की इकाइयों को संभालने में लगे बीजेपी के आलाकमान के सामने शिवराज के बयान ने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि झारखंड में इसी महीने की 25 तारीख से चुनाव शुरू हो रहे हैं और बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं। शायद इसी का असर है कि पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री के बयान को कोई खास तवज्जो नहीं दी है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,'हर राज्य की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। चौहान की तुलना राज ठाकरे से नहीं की जा सकती है।'
शुक्रवार को शिवराज ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसी भी राज्य के लोगों के मध्य प्रदेश आने पर रोक लगाने की बात नहीं कही थी। मैने सिर्फ यह कहा था कि कारखानों में स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम दिलवाने की व्यवस्था की जाएगी। इस बीच राजनीतिक हलकों में चौहान के बयान का विरोध शुरू हो गया है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कहा, 'यह बयान देश को तोड़ने वाला है। लगता है कि शिवराज चौहान अपना दिमागी संतुलन खो बैठे हैं।' उन्होंने कहा कि देश के भीतर कोई भी नागरिक कहीं भी नौकरी कर सकता है। लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने चौहान के इस्तीफे की मांग की है। बिहार और झारखंड में बीजेपी की सहयोगी जेडी (यू) के नेता ललन सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इस तरह का बयान कतई नहीं देना चाहिए। हम इस मुद्दे पर बीजेपी के सीनियर नेताओं से बात करेंगे। बीजेपी को चाहिए कि वह शिवराज से जवाब तलब करके मामले को साफ करे। कभी राजस्थान, कभी कर्नाटक की इकाइयों को संभालने में लगे बीजेपी के आलाकमान के सामने शिवराज के बयान ने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि झारखंड में इसी महीने की 25 तारीख से चुनाव शुरू हो रहे हैं और बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं। शायद इसी का असर है कि पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री के बयान को कोई खास तवज्जो नहीं दी है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,'हर राज्य की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। चौहान की तुलना राज ठाकरे से नहीं की जा सकती है।'
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