हिंदी विद्यापीठ प्रयाग के अध्यक्ष सुनीत व्यास ने राष्ट्रभाषा के खिलाफ राज ठाकरे के बयान को बेहद आपत्तिजनक और राष्ट्रहित के खिलाफ बताया है। व्यास ने याद दिलाया कि महाराष्ट्र के शीर्ष नेताओं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, वीर विनायक दामोदर सावरकर, काका कालेवकर आदि ने भी हिंदी का समर्थन किया था और इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने का अथक प्रयास किया था। व्यास ने ठाकरे से आग्रह किया कि वे ऐतिहासिक तथ्यों को स्वीकार करें और उन राष्ट्रीय नेताओं को सहयोग प्रदान करें जो हिंदी के प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या राठ ठाकरे अब यह मांग करेंगे कि महाराष्ट्र में हिंदी फिल्मों को बनाना बंद किया जाए।
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