Sunday, November 1, 2009

मैं अन्याय के खिलाफ लड़ती रहूंगी : वसुंधरा

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि वे भाजपा के आम कार्यकर्ता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश में होने वाले हर तरह के अन्याय के खिलाफ लड़ती रहेंगी। वे पार्टी के साथ रहेंगी।भाजपा में अपने विरोध की बातों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे हर किसी की मदद करेंगी और हर किसी के संकट में साथ देंगी तो कोई उनके विरोध में कैसे हो जाएगा। नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद वसुंधरा राजे ने भास्कर से लंबी बातचीत करते हुए अपने मन की गुत्थियों को पूरी तरह खोला। भाजपा में हर जगह लड़ाई छिड़ी है। नफरत और मारकाट। लोग आपसे भी लड़ रहे हैं?मैंने पाया है कि प्यार के बंधन में बांध कर ही राजनीति की जा सकती है। जाति या नफरत से नहीं। मैं मानती हूं, प्यार ही पोटेंट वैपन (कारगर हथियार) है। हाउ कैन यू फाइट मी, इफ आई लुक आफ्टर यू, इफ आई केयर फॉर यू? अगर मैं सच्चे दिल से किसी का भला सोचती हूं और उसकी खैरखबर रखती हूं, बुरे वक्त में मदद करती हूं, खुशियों में शरीक होना चाहती हूं तो कोई मुझसे कैसे लड़ सकता है। अदृश्य लड़ाई का आप क्या इलाज देखती हैं? राजनीति तो राजनीति है। अलग-अलग लोग हैं। अलग ट्रीटमेंट हैं। भाजपा ने जब कहा तो तत्काल इस्तीफा नहीं दिया? कहां देर की? कहते ही तो दे दिया। लेकिन इतने महीने लग गए पार्टी को आप तक पहुंचने में?विधानसभा से मेरे कुछ विधायकों को निलंबित कर दिया था। आरक्षण का इश्यू था। कैसे छोड़ देती उसको? उनको बहाल करवाना था। और फिर कोई समय सीमा नहीं थी। मुझे जब बोले इस्तीफा दे दो तो दे दिया। क्या भाजपा में कोई है, जो आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है? मैं ऐसा नहीं सोचती। मेरी पार्टी में डायवर्स काफी हैं। बड़ी पार्टी है। सबकी अलग-अलग जगह है। एक नेता के लिए मुश्किल घड़ी होती है जब वह समर्थकों की रक्षा नहीं कर पाता। क्या आप ऐसे ही दौर से नहीं गुजर रही हैं? मेरा एक्जिस्टेंस नेता प्रतिपक्ष से ही नहीं है। मैं तो समझती हूं जब साथ काम कर रहे हैं तो दिक्कत ही क्या है? मैं अन्याय के खिलाफ हमेशा लड़ती रही हूं। आगे भी लडूंगी। अन्याय बर्दाश्त ही नहीं कर सकती। अपने समर्थकों को अब तक प्रोटेक्ट करती रही हूं तो आगे भी करूंगी। विभाजन तो साफ दिख रहा है? मेरे लिए तो सभी 78 विधायक मेरे अपने हैं। राजनीति भले संकरी गली की तरह हो, लेकिन इसमें बड़ा दिल रखकर काम करने और सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है। जब जन्मदिन या सालगिरह होती है तो मैं भाजपा के ही नहीं, कांग्रेस, माकपा सहित सभी विधायकों को फोन करती रही हूं। सात के लिए तो करना और सत्तर के लिए नहीं करना, ये ओछी बात मैं नहीं सोचती। और आज कह देती हूं, किसी के साथ अन्याय होगा तो मैं उसके साथ खड़ी रहूंगी।

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